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रंगरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत इस वर्ष आई भीषण बाढ़ से एक तरफ जहां लोगों के बीच रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न कर दी है तो वहीं दूसरी तरफ बाढ़ पीड़ित पशुपालकों के सामने पशु चारा की किल्लत हो गई है। पशु चारा उपलब्ध नहीं रहने के कारण लोगों के सामने अपने पशु को चारा उपलब्ध कराना एक समस्या बन गई है। लिहाजा लोग ओने पौने दामों में अपने अपने मवेशियों को बेचने पर विवश हैं।

इस मजबूरी का फायदा उठाने के लिए गांव गांव मवेशी खरीदने वाले व्यापारी घूमने लगे हैं। जो मवेशियों का दाम, उचित दाम के एक चौथाई लगा रहा है। मजबूरन पशुपालक अपने मवेशियों को इन व्यापारियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं। रंगरा के पशुपालक महेश मंडल, सुरेश मंडल, डुमरिया के किसान सुशील मंडल, सुखदेव मंडल, शकल ठाकुर के अलावे दर्जनों लोगों ने बताया कि बाढ़ के कारण पूरा इलाका जलमग्न हो गया था।

जिससे खेत में लगे सभी पशु चारा और घास फूस डूब कर बर्बाद हो गया है। स्थिति अब ऐसी उत्पन्न हो गई है कि मवेशियों को खिलाने के लिए घास तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
सधुआ और चापर के किसान उमेश मंडल, बुद्धू मंडल, सुधीन मंडल, हरी यादव, अमर यादव के अलावे कटरिया रेलवे स्टेशन पर अपने मवेशियों को लेकर रह रहे दर्जनों किसानों ने बताया कि पशु चारा के लिए हम लोगों को यहां से 30 से 40 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।

सुबह में पशु चारा के लिए निकलते हैं तो शाम में ही घर लौटते है। तब जाकर अपने मवेशी को चारा दे पाते हैं। साथ ही भूसा ₹1000 प्रति क्विंटल हो जाने से अपने मवेशियों को भूसा खिलाना असंभव हो गया है। इसलिए हम सभी प्रशासन से मांग करते हैं कि मवेशियों को खिलाने के लिए सरकारी स्तर पर भूसा की व्यवस्था की जाए ताकि हम लोग मवेशियों को भूसा खिलाकर उनकी जान बचा सके।

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