


बिहार में पुलिस को हाईटेक बनाया जा रहा है। थानों के मॉडल भवन बनाये जा रहे हैं लेकिन, भागलपुर में 7 दशकों से एक ऐसा थाना है, जो सामुदायिक भवन में चल रहा है। मालूम हो कि नवगछिया पुलिस जिला अन्तर्गत कदवा ओपी थाना को अपना भवन नहीं है। वहीं थाना में पुरूष/महिला हाजत भी नहीं है। गिरफ्तारी के बाद कैदियों को पांच किमी दूर ढोलबज्जा थाना में ले जाकर रखा जाता है. वहीं पुलिसकर्मियों का बैरक बुरी तरह जर्जर है। थाना भवन का निर्माण अधर में है। यह थाना जिस सामुदायिक भवन में चल रहा है, उसमें एक ऑफिसर इंचार्ज का कक्ष, एक सृस्ता कक्ष हैं। वहीं अंदर में वायरलेस कक्ष भी बनाया गया है।

सिपाहियों के रहने के लिए भी यहां समुचित व्यवस्था नही है। वहीं दो साल पहले थानाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार के कार्यकाल में जो खपरैल जर्जर पुलिस बैरक को हटा कर ग्रामीणों के द्वारा चंदा कर एलवेस्टर की छत्ती लगा कर उस बैरक की मरम्मत की गई है. उस समय का ऐसा आलम था कि जब बारिश होने लगते थे तो जहां एक ओर सिपाही प्लास्टिक ओढ़ कर बचते थे तो वहीं राइफल न भींग जाय उसे भी प्लास्टिक से ढक कर बचाया जाता था. सिपाही और ऑफिसर किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे है।

बरसात के दिनों में तो इसमें सर्प-बिच्छू के भी निकलने का डर लगा रहता है। भय के साए में काम होता है। आपराधिक दृष्टि से यह थाना क्षेत्र चर्चित है। जानकार बताते हैं कि जब देश आजाद हुआ था उसी समय कदवा ओपी थाना मिला था. लेकिन यह थाने अपने हाल पर रो रही है। ज्ञात हो कि इस थाने को खैरपुर कदवा व कदवा दियारा पंचायत के करीब 29 वार्डों के लोगों को सुरक्षा का जिम्मा है. इससे स्थिति का सहज अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं नवगछिया एसपी सुशांत कुमार सरोज ने कहा कि- अभी चार थानों का जमीन चिन्हित हुआ है और राशि भी आवंटित भी हो चुकी है। जिसमे कदवा थाना की जमीन भी चिन्हित हो चुका है। और 4 करोड़ 97 लाख रुपए आवंटित हो गया है। इसके साथ अन्य तीन थाने की राशि स्वीकृत हो गई है। हाजत का मामला जो है इसको लेकर ढोलबज्जा थाना में हम कैदी को भेजते है। हम भी कई बार थाना गए है। ऐसा स्थिति नही जितना बता रहे है। अब फिर से जाकर देखेंगे, कोई कंप्लेन भी नही किया है। आप के माध्यम से हमारे संज्ञान में आया है। हम जाकर स्वयं देखेंगे। यदि ऐसा कुछ होगा तो उसको ठीक कराएंगे, हमारे जवानों को और अधिकारी को रहने में दिक्कत नही हो ।
