सुपौल: पिपरा प्रखंड अंतर्गत रतौली पंचायत के जरौली गांव के बच्चे भुतही नदी पर पुल नहीं होने से शिक्षा ग्रहण करने विद्यालय नहीं जा पाते हैं। गांव से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित रतौली में उच्च विद्यालय है। नदी के कारण यह दूरी काफी बढ़ जाती है। नदी पर पुल नहीं रहने के कारण करीब 25 प्रतिशत बच्चों के अभिभावक नावों से उन्हें स्कूल भेजने से कतराते हैं। इनमें लडकियों की संख्या ज्यादा है। इससे उनकी पढ़ाई बाधित हो जाती है। नावों से प्रतिदिन शिक्षा ग्रहण करने विद्यालय जाने वाले बच्चे भी बारिश के चार महिने नदी में उफान रहने से नावों पर यात्रा जोखिमपूर्ण हो जाता है। इससे इस मौसम में बच्चे विद्यालय नहीं जाते हैं। इस नदी पर लोगों की सहूलियत को देखते एक बार पुल बनाने की शुरुआत हुई थी। लेकिन काम पूर्ण नहीं हो पाया। साल में आठ महीने ही बच्चे स्कूल जा पाते हैं।
पंचायत को दो भागों में बांटती है यह नदी
भुतही नदी पंचायत के बीचोबीच बहती है। इससे वह पंचायत को दो भागों में बांटती है। नदी के पूर्वी भाग स्थित जरौली, झरका, बैरिया, लालमनिया समेत क्षेत्र का एकमात्र उच्च विद्यालय है। नदी में सालोंभर पानी रहता है लेकिन बारिश के दिनों में इसमें उफान आ जाता है। पूर्वी तट से पश्चिमी तट की दूरी मात्र पांच सौ मीटर है। पुल नहीं होने का परिणाम होता है कि इस दूरी को तय करने के लिए आठ-नौ किलोमीटर लंबा रास्ता नापना होता है। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी बच्चों को स्कूल जाने में होती है।
शुरू हुआ था पुल का निर्माण कार्य
1998 में इस नदी पर सघन जवाहर रोजगार योजना के तहत तीन स्पेन वाले आरसीसी पुल निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। निर्माण कार्य शुरू भी हुआ था। उसकी स्वीकृत राशि 7,72,400 रुपये में से 3,55,257 रुपये की निकासी भी हुई। लेकिन मॉडल की गड़बड़ी के कारण लोगों ने इस काम को रोक दिया। ग्रामीणों का कहना था कि नदी की चौड़ाई के मुताबिक पुल को पांच स्पेन का होना चाहिए। लोगों की शिकायत पर मंत्रिमंडल निगरानी समिति और बिहार लोकायुक्त के तहत जांच की गई। उसमें तत्कालीन कार्यपालक अभियंता और कनीय अभियंता को गलत प्राक्कलन तैयार करने का उत्तरदायी मानते हुए विभाग को रिपोर्ट सौंपी गई। 28 जनवरी 2007 को विभाग के सचिव ने कार्य पर रोक लगा दी। इस रोक के बाद से काम आगे नहीं बढ़ सका है। इससे आज लोगों के साथ बच्चे भी भुतही के इस अभिशाप को झेलने को विवश हो रहे हैं।