भागलपुर उद्यान विज्ञान और कृषि अभियंत्रण के संकाय सदस्यों के लिए “प्रभावी शिक्षण, केंद्रित शोध, प्रभावी विस्तार और समर्पित प्रशिक्षण ” विषय पर चार दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यशाला का समापन समारोह 23 जुलाई, 2024 को सम्पन्न हुआ। ये कार्यशाला चार विभागों एवं आई.किउ.ए.सी. द्वरा माननीय कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया इस कार्यशाला में बीएयू, सबौर के विभिन्न कॉलेजों और अनुसंधान केंद्रों से फल विज्ञान, सब्जी विज्ञान, फूलों की खेती और भूदृश्यीकरण, औषधीय और सुगंधित पौधों, खाद्य विज्ञान और कृषि अभियन्त्रण में विशेषज्ञता रखने वाले 42 प्रतिभागी शामिल हुए।
उन्हें विशेषज्ञ डॉ. हरि हर राम, पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (सब्जी विज्ञान), गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर और डॉ. प्रतिभा देवी शर्मा, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, प्रसंस्करण और खाद्य अभियंत्रण विभाग, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा द्वारा मार्गदर्शन दिया गया । प्रतिभागियों ने संस्थान के विभिन्न शैक्षणिक, वित्तीय और प्रशासनिक नियमों और विनियमों के बारे में सीखा, तथा अनुसंधान मार्गों और फंडिंग एजेंसियों के बारे में जाना, साथ ही प्रसार और प्रशिक्षण के बारे में ज्ञान अर्जित किया।डॉ. हरि हर राम और डॉ. प्रतिभा देवी शर्मा ने नए संकाय को उद्यान विज्ञान और कृषि अभियंत्रण में नवीनतम रुझानों और प्राथमिकता वाले अनुसंधान क्षेत्र के बारे में अवगत कराया।
वहां विशेषज्ञों के सामने नई शोध परियोजनाओं और पहलों पर चर्चा हुई, और उन्होंने रचनात्मक सुझाव दिए। डॉ. हरि हर राम ने विभिन्न फसलों के लिए व्यापक जननद्रव्य संग्रह करने, फलों तथा मटर और फ्रेंच बीन के प्रजनन पर अधिक शोध कार्य करने, और प्रमुख फसलों के सुधार पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। उन्होंने फसलों के डेटा के उचित दस्तावेजीकरण और रखरखाव का भी आग्रह किया। डॉ. पी.डी. शर्मा ने मौजूदा कृषि यंत्र और नई आविष्कृत कृषि यंत्र के विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन, उत्पादन के बाद की लागत का विश्लेषण करने का आग्रह किया और भविष्य में एआई और आईओटी आधारित मशीनरी पर काम शुरू करने का भी सुझाव दिया।
दोनों विशेषज्ञों ने अनुसंधान के लिए मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया वैज्ञानिकों ने बीएयू, सबौर की विभिन्न प्रयोगशालाओं और इकाइयों के साथ-साथ कहलगांव, नौगछिया और भागलपुर में स्टार्ट-अप व रुफटॉप गार्डन एवं प्रसंस्करण इकाई के भ्रमण भी किया।कार्यक्रम के समापन सत्र में बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर के प्राचार्य ने नये वैज्ञानिकों से एक्स्टर्नल फंडेड परियोजनाएं प्रस्तुत करने का आग्रह किया। उन्होंने विकसित प्रौद्योगिकियों के लिए किसानों और छात्रों के प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित किया।
निदेशक अनुसंधान डॉ. ए.के. सिंह ने विश्वविद्यालय के पांच अनुसंधान समूहों पर बात की। उन्होंने आनुवंशिक सुधार और संकर बीज उत्पादन तथा उच्च मूल्य और कम मात्रा वाली फसलों पर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने नए वैज्ञानिकों से किए गए सभी कार्यों का दस्तावेजीकरण भी मांगा।नए वैज्ञानिक पूरे ऊर्जा के साथ माननीय कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के मार्गदर्शन पर “कार्य पूजनं स्मितेन कार्यम्” मंत्र पर कार्य के लिए उत्साहित है ।