वर्जित होते हैं पुरुषोत्तम मास में मांगलिक कार्य
नवगछिया : सभी महीनों में उत्तम पुरुषोत्तम मास का मानव जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है।इस मास में किए गए धार्मिक अनुष्ठान अन्य महीनों में किए गए पूजा अर्चना से कई करोड़ गुना फल देने वाला होता है।उक्त बातें नगर परिषद के वार्ड नं 25 के गजाधर बाबू रोड पर तीन दिवसीय शिवपुराण कथा का श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए अयोध्या से पधारे आचार्य अजय शुक्ल ने कही।उन्होंने पुरुषोत्तम मास के बारे में बताते हुए कहा कि जिस महीने में सूर्य संक्रांति नही होता है वह अधिक मास होता है।इस महीने में सभी मांगलिक कार्य वर्जित होता है.
।इस वर्ष यह महीना 18 जुलाई से शुरू है जो 16 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इसमें दीपदान, वस्त्र और श्रीमद्भागवत कथा ग्रन्थ दान का विशेष महत्व है। इस मास में दीपदान से धन वैभव में वृद्धि होने के साथ व्यक्ति को पूण्य लाभ भी अर्जित होता है।
आचार्य अजय शुक्ल ने बताया कि इस मास में जरूरत मन्द लोगों को अनाज ,धन,जूते चप्पल और कपड़े का दान करना चाहिए। इस समय बारिश का समय है, छाता का भी दान हो सकता है। मंदिर में भगवान शिव जी से जुड़ी चीजें जैसे चंदन, अबीर,गुलाल,हार फूल, बिल्व पत्र,दूध,दही, घी, जनेऊ आदि का दान करना चाहिए। इस महीने में शहद, चौलाई, उड़द दाल, राई, प्याज,लहसुन, गोभी,गाजर,मूली और तिल का तेल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
इन वस्तुओं के सेवन से व्यक्ति का पुण्य नष्ट होने लगता है।यह महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है, जो व्यक्ति पूरे मनोभाव से इसमें आराधना, दान पुण्य करता है वह मानव जीवन के विविध बाधा को सुगमता से पार पा जाता है।बाबा भोलेनाथ इस पूरे ब्रम्हांड में किसी भी अभिमानी का अभिमान नही रहने दिए,उसका मान मर्दन कर दिए।जब कामदेव ने इनका ध्यान भंग कर दिया तो उसे खुद पर अभिमान होने लगा ।इसी मद में मदान्ध होकर भगवान श्रीकृष्ण के पास गया तो उन्होंने उसका घमण्ड चूर चूर कर दिया।प्रेमी भक्त के लिए शिव जी की कृपा सदैव बनी रहती है।कथा के दौरान मुख्य यजमान मुकेश कुमार गुप्ता, सेजल गुप्ता, चंद्रकांत झा, अंकित कुमार, अभिनंदन कुमार, दिनेश मंडल, प्रशांत कुमार, तनीषा, आशीष कुमार, रितेश कुमार, खुशी कुमारी आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।