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भागलपुर में एक बार फिर से स्वास्थ्य महकमें की पोल खुली है। रेलवे अस्पताल से एक लावारिस शव को पोस्टमार्टम के लिए एंबुलेंस की बजाय ठेले पर भेजा गया। हद तब हो गई जब देखा गया कि जिस ठेले से शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था, उसके पहियों में ना तो हवा थी और ना ही उसमें ब्रेक था।

कुल मिलाकर, यह कहना सही होगा कि तस्वीरों में दिख रहा शव लावारिस शव नहीं, बल्कि भागलपुर स्वास्थ्य महकमें का ‘शव’ है। एक तरफ जहां भारतीय रेलवे का चिकित्सा विभाग सुविधाएं मुहैया कराने के कई वायदे करता है, वहीं दूसरी ओर रेलवे स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलती तस्वीर भागलपुर की सड़कों पर देखने को मिली। आज भी एक अज्ञात शव को ठेले पर दो युवक खींचते हुए पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे थे। ठेले में ना तो ब्रेक था और ना ही टायर में हवा थी, और ठेला चालक और उसके सहयोगी के मुंह से शराब की भी बू आ रही थी।

ठेला चालक विजय मलिक ने बताया कि वे कई बार लाश को ढोने के लिए एंबुलेंस की मांग कर चुके हैं, लेकिन एंबुलेंस नहीं दिया जाता। राहगीर विजय कुमार चौधरी ने भी रेलवे प्रशासन को कोसते हुए कहा कि यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है।

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