रमजान के महीने में खुदा के हुक्म से रोजे रखकर अपने बंदों की इबादत करना अल्लाह को बेहद पसंद है। पूरे रमजान के बाद रोजे रखने का इनाम ईद के दिन खुदा अपने बंदों को अपने हाथों से अता फरमाता है। यह बाते रंगरा चौक प्रखंड के सधुआ मश्जिद के इमाम नूरउल्लाह ने जानकारी देते हुए बताया कि रमजान का महीना रहमत बरकत व दोजख से निजात तथा गुनाहों से तौबा करने का महीना है। इस महीने में खुदा रहमतों बरकत और माफी के दरवाजे खोल देता है।
पूरे रमजान खुदा के हुक्म से रोजे रखकर भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त करना खुदा को बेहद पसंद है। खुदा फरमाता है कि रमजान के महीने में हर इबादत का सवाब बढ़ा दिया जाता है। उसका इनाम खुदा खुद है तथा अपने हाथों से अपने अजीज बंदों को ईद के दिन अता फरमाता है। रमजान के महीने में खुदा के बंदों ने रोजे रखकर भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त कर पूरे महीने इबादत की। अब इनाम की घड़ी करीब है। ईद उल फितर मंगलवार को होगी। ।
ईद के दिन नमाज अदा करने के बाद नेक बंदे दिल से जो दुआ मांगते हैं खुदा उसको कुबूल फरमाता है। उनका इनाम दे दिया जाता है और खुदा फरमाता है कि ए नेक बंदों तुमने मेरे हुक्म से रमजान के पूरे महीने रोजे रखकर इबादत की है। मैं तुमसे में खुश हो गया और तुम बख्शे अपने घरों को लौट जाओ। ईद की नमाज से पहले गरीबों को जकात फितरा देना भी वाजिब है। जरूरत से ज्यादा दौलत जिस पर एक साल बीत गया हो उस दौलत का ढाई प्रतिशत गरीबों को जकात के रूप में देना जरूरी है।