राजद के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि अभी बहुत कुछ बोलना है, लेकिन स्वस्थ होने के बाद ही आगे बोलूंगा।
रघुवंश प्रसाद पार्टी के कद्दावर नेताओं में एक थे। पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद ने हाल ही में बनी नई राष्ट्रीय कमेटी में उनका नाम उपाध्यक्ष के रूप में राबड़ी देवी से भी ऊपर रखा था। लेकिन, जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से उनकी कार्यशैली से वह नाराज चल रहे थे।
उन्होंने पार्टी कार्यालय आना छोड़ दिया था। यहां तक कि प्रेस वार्ता भी वह घर पर ही बुलाते थे। उधर, रामा सिंह को राजद में शामिल किए जाने की सूचना ने उनकी नाराजगी और बढ़ा दी। रामा सिंह उन्हीं के वैशाली जिले के हैं और उन्हीं की बिरादरी से भी आते हैं।
कोई फर्क नही पड़ेगा: जगदानंद सिंह
पार्टी के 5 विधानसभा सदस्यों के जदयू में चले जाने से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में खलबली मची है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को बुलाया और अपने आवास पर उनके साथ स्थिति की समीक्षा की। बाद में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि जदयू के पास अपनी कोई पूंजी नहीं है, लेकिन राजद बड़ी पार्टी है।
समुद्र से कुछ बूंद पानी निकाले जाने से उसपर कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे ही इन विधान पार्षदों के जाने से पार्टी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जनता सब देख रही है। चुनाव में जदयू को सिखा देगी।
रघुवंश बाबू को राजद ने किया अपमानित
राजद से जदयू में आए विधान पार्षदों की मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में सांसद ललन सिंह ने कहा कि दो-तिहाई बहुमत से राजद छोड़कर हमारे दल में आए विधान पार्षदों का मैं स्वागत करता हूं। राजद किसी का सम्मान करना नहीं जानता। रघुवंश बाबू जैसे सम्मानित नेता, जो मजबूती से राजद के साथ रहे हैं, राजद नेतृत्व ने उन्हें भी अपमानित करने का काम किया है। कोई भी स्वाभिमानी आदमी इस तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।
पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह बड़े कद के नेता हैं, उन्हें कहां जाना है, इसका फैसला वे खुद करेंगे। रघुवंश बाबू जदयू में आने की यदि अपनी इच्छा जाहिर करते हैं, तो निश्चित रूप से जदयू इस पर विचार करेगा।
टूट वहीं होती है, जहां सम्मान नहीं: आरसीपी
जदयू के राष्ट्रीय संगठन महासचिव व सांसद आरसीपी सिंह ने राजद द्वारा जदयू को तोड़ने के दावे पर पलटवार करते हुए कहा कि सबको दावा करने का हक है। प्रयास भी करना चाहिए। लेकिन टूट वहीं होती है, जहां कोई समस्या होती है। जहां उपेक्षा का भाव रहता है, जहां साथियों को सम्मान नहीं मिलता। हमारे नेता के नेतृत्व व कार्यों में सबको विश्वास है।
हमारे नेता काम के आधार पर सबको आगे लेकर चलते हैं। इसलिए जदयू में टूट की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं। विकास एक मुद्दा तो है ही। आरोप लगाया कि राजद में किसी को सम्मान नहीं मिल रहा और लोग हमारे नेता के काम से प्रभावित हैं, तो टूट तो होगी ही।