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रमजान का तीसरा असरा जहन्नम की आग से आजादी का जुमे के मगरिब के अजान होते ही शुरू हो गया। यह बाते जुमे के नमाज की दौरान रंगरा चौक प्रखंड के सधुआ के मश्जिद के इमाम नमाज के दौरान मौलवी नूरूल्लाह ने बताया। उन्होंने कहा कि
मगफिरत का दूसरा अशरा शुक्रवार को मगरिब की अजान के साथ समाप्त हो जाएगा। इसी के साथ जहन्नम से आजादी का तीसरा अशरा शुरू हाेगा और रोजेदार अजीम शब-ए-कद्र की पहली रात का इस्तकबाल करेंगे। यू तो पूरे साल में 365 रातें हैं, लेकिन सब एक जैसी अजमत वाली नहीं हैं। इनमें से बहुत सी ऐसी रातें हैं जिनकी अहमियत और फजीलत दूसरी रातों से कई गुना अधिक है।

जितनी भी फजीलत वाली रातें हैं, सबके अपने मखसूस आमाल हैं। इन रातों का किताबों में जिक्र भी है। इन्हीं रातों में से एक अजीम रात शब-ए-कद्र है। शब-ए-क्रद वह अजीम रात है, जिसके बारे में फरमाया गया है कि इस एक रात इबादत करना हजार महीनों की इबादत से अफजल है। मौलाना नूरउल्ला ने बताया कि रमजान का आखिरी अशरा जहन्नुम से आजादी का है, जो शुक्रवार की मगरिब से शुरू होगा। आखिरी अशरे की ताक रातों (21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं व 29वीं) में इबादतों के जरिए ‘शब-ए-कद्र’ की तलाश करने का हुक्म है।एतकाफ में शिफा और राहत मांगेंगे इबादत गुजार

मौलाना नूरूल्लाह बताते हैं कि सोमवार मगरिब के वक्त से तीसरा अशरा शुरू हो जाएगा। इस अशरे में मस्जिदों में एतकाफ में बैठने का हुक्म है। यदि किसी मोहल्ले से एक भी बंदा एतकाफ पर बैठता है तो पूरे मोहल्ले पर खुदा की रहमत नाजिल होती है। वहीं यदि कोई नहीं बैठा तो पूरा मोहल्ला गुनहगार होता है। एतकाफ के लिए सूरज ढलने से पहले मस्जिद में पहुंचने के हुक्त है। एहतियात के तौर पर इबादतगुजार अस्र की नमाज के वक्त पहुंच सकते हैं। लोगों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा लोग मस्जिदों में एतकाफ में रहे और बीमारों की शिफा, कोरोना से निजात, मुल्क की तरक्की व खुशहाली की दुआ करें।

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