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नवगछिया : रमजान का पाक महीना चल रहा हैं । वहीं इस संबंध में बिहार शू स्टोर के होलसेल विक्रेता हाजी सैयद अहमद ने बताया कि रोजा मुसलमानों पर फर्ज है. अल्लाह को रोजा बेइंतहा पसंद है. रोजा अल्लाह को राजी करने का बेहतरीन जरीया है. अल्लाह रबुल कहते इसकी नेकी का बदला हम खुद देंगे. इस महिनें में शैतान को कैद कर दिया जाता है. पांच वक्त की नमाज के अलावा इसमें 20 रकाअत की तराबीह की नमाज होती है. तराबीह की नमाज इंसान के सेहत के लिए भी फायदेमंद है. रोजा खोलते ही इंसान खाना खाना शुरू कर देते है. रोजा खोलने के दो घंटा बाद तराबीह की नमाज होती है. जो कि शरीर में खाना अच्छे पचने में मदद करा है. रमजान के महिना में अल्लाह ताअला इमान वालों को सब्र दे देते हैं. आम दिनों में सुबह उठते भूख लग जाती है. खाना नहीं खाने पर शरीर में बेचेनी हो जाती है. किंतु रमजान के महिना में इमान वालों को सब्र दे देता है. खाना रहते हुए भी हम नहीं खाते हैं.

नवगछिया नगर परिषद के मुमताज मुहल्ला के इमाम अख्तर हुसैन कासमी कहते हैं कि इस्लाम के बुनियादी पांच अरकान में से एक रूक्न रोजा भी है. रोजे का मकशद अस्ल में बंदो को मुकत्ती व परहेजगार बनाना है. जो बंदे जितने मुकत्ती व परहेजगार होंगे वे उतना ही ज्यादा अल्लाह ताअला के करीब होगा. इस मुबारक महिना में अल्लाह तबारक ताअला नेकियों की कीमत बढ़ा देते हैं. मिशाल के तौड़ पर सुन्नत का शबाब फर्ज के बराबर और फर्ज का शबाब 70 फर्ज के बराबर होता है. ये महिना सब्र व शुक्र का है. सब्र व शुक्र के बदले अल्लाह ताअला ने जन्नत देने का वादा किया है. इस महिने में मोमिनों के रिज्क बढ़ा दिए जाते हैं. इस रमजान के महिना में ही अल्लाह की पाक व नूरानी किताब कलामे पाक कुरआन शरीफ हमारे आखरी नवी मुहम्म्द सलल्लाहे वलेही वसलम पर नाजिल किया गया. रमजान का मुबारक महिना रहमतों का, मगफेरत का और जहन्नम से खलासी और छुटकारा पाने का है. इस महिना में जहन्नम के आठों दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. जन्नत के आठों दरवाजे खोल दिए जाते हैं.
माहे रमजान में गरीब मिस्कीन को खुलकर मदद किया जाता है. जकात हर उस आदमी पर फर्ज हैं जिसके पास साढ़े सात तौला सोना, या साढ़े सात सौ ग्राम चांदी या उसके बराबर रूपया है. जकात सौ रूपये में ढाई रूपया गरीबों, मोहताजों, मिस्किनो को दिया जाता है. जकात देने से उसके माल में कमी नहीं होती है. बल्कि उसके माल में दस गुना बढ़ोतरी हो जाती है. आखिरत में इसका शबाब 70 गुना ज्यादा अता फरमायेंगे. जकात देने से हमारे माल की हिफाजत अल्लाह ताअला के जिम्मे हो जाती है.

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