नारायणपुर: सड़क दुर्घटना में पुत्र हुआ जख्मी तो सदमें में मां ने त्याग दी प्राण। यह मामला प्रखंड के चकरामी गांव का है। सोमवार की रात्रि चकरामी निवासी दुकानदार दिव्यांग संजीत मंडल रोज की तरफ दुकान बंद करके साईकिल से घर आ रहा था। घर आने के क्रम में नारायणपुर एनएच 31 चौक पर सड़क पार करने के दौरान खगड़िया की ओर से आ रही तेज रफ्तार मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति ने साइकिल समेत संजीत को अपनी चपेट में ले लिया। मोटरसाइकिल पर सवार दो व्यक्ति बाराती में शामिल होने के लिए नवगछिया की तरफ जा रहा था। टक्कर ऐसा हुआ कि करीब पचास मीटर तक साइकिल समेत संजीत को मोटरसाइकिल चालक एनएच पर घसीटता चला गया।
साईकिल पूरी तरह मोटरसाइकिल में फस गया था। मोटरसाइकिल से साइकिल अलग नहीं हो रहा था। मोटरसाइकिल सवार वहां से भाग भी नहीं पा रहा था क्योंकि मोटरसाइकिल और साईकिल पूरी तरह फंस गया था।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मोटरसाइकिल की गति काफी तेज थी। टक्कर होने के बाद मोटरसाइकिल सवार भागना चाहा इसलिए उन्होंने मोटरसाइकिल का स्पीड कम नहीं किया जिसके कारण संजीत मंडल साइकिल समेत करीब पचास मीटर तक घसीटता चला गया। इस बीच संजीत गंभीर रूप से जख्मी हुआ और उसका पैर टूट गया और साइकिल भी क्षतिग्रस्त हुआ। मोटरसाइकिल सवार चाह रहा था कि यदि साइकिल से मोटरसाइकिल अलग हो गया है तो वह भागने में सफल हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुर्घटना देख कई लोग जमा हो गए। मोटरसाइकिल सवार दोनों व्यक्ति को पकड़ा गया। सूचना मिलने पर भवानीपुर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई संजीत मंडल का प्राथमिक उपचार होने के बाद बेहतर इलाज के लिए भागलपुर अस्पताल रेफर किया गयात।
भवानीपुर पुलिस ने मोटरसाइकिल जब्त कर लिया। इस बीच मोटरसाइकिल के पीछे से बाराती वाला स्कार्पियो आ रहा था जिस पर मोटरसाइकिल सवार बैठ कर चला गया। लेकिन संजीत के दुर्घटना की सूचना जब उसकी मां को मिली तो रात भर किसी तरह दुर्घटना के बारे में सुन कर रह गई। लेकिन वह दुर्घटना और पैर से दिव्यांग पुत्र संजीत के गंभीर रूप से जख्मी होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी तो मंगलवार की सुबह
सदमे में वृद्ध माता मीरा देवी ने अपने प्राण त्याग दिया। एक तो दुर्घटना होने के बाद सभी परिवार वाले चिंतित हो गए थे दूसरी बूढ़ी मां भी सदमे में संसार छोड़कर चल बसी।एक साथ दो तरह का दुख।
घर में मातम छा गया।चारों तरफ क्षेत्र में चर्चा होने लगी की जख्मी पुत्र जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो सदमा में मां ने प्राण त्याग दिया । परिवार वालों के बीच समस्या हो गई एक तरफ जख्मी का ईलाज भी कराना है तो दूसरी तरफ मां का अंतिम संस्कार भी करना है। इस तरह की घटना ने बड़ा बोझ परिवार वालों को दे दिया। मंगलवार को मां का अंतिम संस्कार भी किया गया लेकिन जिंदगी और मौत से जूझ रहा संजीत मां का अंतिम दर्शन नहीं कर सका। आसपास के लोगों ने संजीत मंडल के घर पर पहुंच कर सांत्वना व्यक्त किया। जिसके कारण पूरी उम्मीद जगी कि समाज में ऐसे भी लोग हैं जो दुख की घड़ी में कम से कम दुख बांटने के लिए घर पर पहुंचते हैं।