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भागलपुर: सदर अस्पताल में कोरोना और दूसरे बीमारी के गंभीर मरीजों के लिए तीन सप्ताह पहले ही चार नए वेंटिलेटर आ तो गए। लेकिन, इसे अभी तक इंस्टॉल तक नहीं किया गया है। मशीन सदर अस्पताल में पैक कर रखी हुई है। अभी तक न तो ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाई गई और न ही इसे चलाने के लिए तकनीशियनों को दक्ष किया गया है। अभी तक इस दिशा में कोई कारगर कदम उठाए नहीं उठाया गया है। सदर अस्पताल खुद ही वेंटिलेंटर पर अटक गया है। अस्पताल में वेंटिलेटर संचालित करने के लिए सदर अस्पताल में प्रशिक्षित तकनीशियन उपलब्ध नहीं है। दरअसल, अगस्त के पहले सप्ताह में प्रधान सचिव के दौरे के बाद सदर अस्पताल को पहले चरण में चार वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध कराई गई है। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के गंभीर मरीजों को देखते हुए यह सुविधा जिलास्तर पर दी थी।

अभी करना होगा लंबा इंतजार

सदर अस्पताल के इमरजेंसी में वेंटिलेंटर इंस्टॉल करने से पहले वहां ऑक्सीजन पाइन लाइन लगाई जानी है। इसके लिए एजेंसी से भी बात भी हो गई थी। एजेंसी ने 20 अगस्त तक इंस्टॉल करने को कहा था। लेकिन, अभी तक एजेंसी का पता नहीं। सिविल सर्जन ने बताया कि कोलकाता की एक एजेंसी से संपर्क किया गया है। लॉकडाउन के कारण एजेंसी के तकनीशियन नहीं आ रहे हैं।

कमरे और वार्ड का हो गया चयन

सिविल सर्जन ने बताया कि अभी सदर अस्पताल में चार मशीनें आई है। इमरजेंसी वार्ड में इसे लगाया जाएगा। इसके लिए अलग से कमरे (वार्ड) का चयन कर लिया गया है। अब एक साथ चार मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जा सकता है। ऑक्सजीन पाइप लाइन के लिए एजेंसी को कहा गया है। सिविल सर्जन ने बताया कि अनुमंडल और रेफरल अस्पताल में भी वेंटिलेटर की सुविधा जल्द शुरू होगी। अभी सदर में मशीन की आपूॢत कर दी गई है। सीएस ने बताया कि इसके लगने से गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों को समय रहते बेहतर उपचार मिलेगा। निजी का सहारा नहीं लेना होगा।

अभी सिर्फ मेडिकल अस्पताल में सुविधा

भागलपुर जिले में वेंटिलेटर की सुविधा सिर्फ जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में ही है। यहां दो दर्जन वेंटिलेंटर की सुविधा है। यहां अभी सिर्फ कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज होता है। टीचर्स टेनिंग कॉलेज में भर्ती कोविड सेंटर से जिन मरीजों की स्थिति गंभीर होती है, उन्हेंं मेडिकल अस्पताल में रेफर किया जाता है।

कोलकाता के एजेंसी को बोला गया है। जल्द ही ऑक्सीजन पाइप लाइन लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद तकनीशियन को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।-डॉ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन।

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