नवगछिया : साहु परवत्ता में 126 वर्षो से जमींदारी दुर्गा मंदिर में तांत्रिक विधि से माता की पूजा अर्चना होती है. यहां सप्तमी को प्रतिमा स्थापित कर मां की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. मुख्य पुजारी दयानंद झा बताते हैं कि सप्तमी के दिन बेल पेड़ के नीचे चतुर्मुख दीप जला कर तांत्रिक विधि से माता की आराधना शुरू हुई थी. तांत्रिक विधि में 35 नदियों का जल, हाथी के दांत, मिट्टी, ओस कण सहित अन्य सामान से माता की पूजा की जाती है. माता के स्नान के लिए विशेष रूप से प्रतिबिंब विधि से गंगा जल से स्नान कराया जाता है. मुख्य आचार्य वेदानंद कहते हैं कि यहां तांत्रिक विधि से पूजा जरूर की जाती है, लेकिन बलि नहीं दी जाती है. अंग प्रदेश में यह पहला ऐसा मंदिर है,
जहां तांत्रिक विधि से मां की आराधना कर बलि नहीं दी जाती है. सतमीं, अष्टमी, नवमी तीन दिनों तक मां पूजा बाद दशमी को 11 प्रकार की औषधी बराबर मात्रा में मिला कर हवन किया जाता है. ऐसा किसी मंदिर में नहीं होता है. साहू परवत्ता के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मैया सबकी मनोकामना पूरी करती हैं.राम कुमार साहू बताते हैं कि उनके पूर्व स्व रामगुलाम साहू व घनश्याम साहू 1897 में मंदिर की स्थापना कर तांत्रिक विधि से मां की पूजा शुरू की थी. उस समय मंदिर के प्रथम आचार्य घनश्याम साहू बने थे. दशमी के दिन साहू परिवार के लोग शस्त्रों की विशेष पूजा करते हैं. साहू के वंशज अवधेश साहु कहते है कि पूवर्जो के अनुसार ही यहां माता की पूजा करते है. पूूजा में रामकुमार साहु, दीपक साहु, राजकिशोर साहु सक्रिय रूप से योगदान देते हैं.