नवगछिया अनुमंडल के सैदपुर में स्थित शक्ति की देवी माँ दुर्गा मंदिर की ख्याति राज्य के बाहर फैलनी लगी है. कहा जाता है कि यहाँ जो भी भक्त सच्चे मन से माता की आराधना करते हैं. माता उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करती है. पचास -साठ वर्ष गोपालपुर के ततकालीन थानाध्यक्ष आनंदी सिंह की पहल पर सैदपुर के प्रबुद्घ नागरिकों द्वारा फूस का अस्थायी मंदिर बना कर मूर्त्ति स्थापित कर माता की पूजा -अर्चना प्रारंभ किया गया. बाद में सैदपुर के ठीठर गोसाईं ने अपनी जमीन मंदिर निर्माण हेतु दिया. ग्रामीणों के सहयोग से फूस के मंदिर के बदले पक्का का मंदिर बनाया गया. पिछले तीन-चार वर्षों से वर्त्तमान पूजा कमिटी के अध्यक्ष महेशानंद कुँवर के नेतृत्त्व में पाँच करोड की लागत से माता के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया और माता की ख्याति दूर -दूर तक फैलने लगी है. पश्चिम बंगाल के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार करूड जी के द्वारा पिछले दो दशक से भी अधिक समय से माता की मनोहारी प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. पं जीवन झा के आचार्यत्त्व में विद्वान ब्राह्मणों की टीम द्वारा विधि -विधान से दुर्गा सप्तशती का पाठ किये जाने से पूरे गांव का माहौल भक्तिमय हो गया है. यहाँ वैष्णव पद्धति से पूजा किया जाता है. सप्तमी तिथि को कोहडे की बलि दी जाती है. कलश स्थापन के दिन से ही संध्या दीप जलाने हेतु महिलाओं व कुँवारी कन्याओं की भीड उमड पडती है. सैदपुर दुर्गा मंदिर आज यहाँ की पहचान बन गई है.