5
(1)

भागलपुर/निभाष मोदी

भागलपुर जिले में इस वर्ष समय पर बारिश नहीं होने के कारण धान का आच्छादन कम हुआ है। विशेषकर प्रसिद्ध कतरनी धान की खेती इस वर्ष कम हुई है। साथ ही साथ अब इसके उत्पादन पर भी किसानों में संशय बरकरार है। वहीं आशंका है कि देश के महामहिम राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री समेत देश के कई गणमान्य भी इसका आनंद नहीं ले सकेंगे। दरअसल बारिश नहीं होने के कारण पूर्वांचल के धान का कटोरा कहे जाने वाले जगदीशपुर में इस वर्ष 100 से डेढ़ सौ एकड़ में ही खेती हुई है लगातार बारिश नहीं होने के कारण फसल को नुकसान हुआ है। जिस समय धान की बालियां लाल होकर झुक जाती थी या धान कटाई की तैयारियां होती थी। इस वक्त खेतों में कतरनी धान हरे-भरे या कई खेतों में अब तक बालियों में फल नहीं फूट सके है। लिहाजा किसान परेशान है। जिले के जगदीशपुर सुल्तानगंज व सनहौला में धान की बेहतर पैदावार होती थी। इसके लिए भागलपुर को खास प्रसिद्धि मिली है। यहां की कतरनी की खास खुशबू व मौलिकता को देखते हुए ही भारत सरकार ने 2017 में इसे भौगोलिक सूचकांक (जीआई टैग) प्रदान किया था। 2020-21 में कतरनी धान की खेती 1400 एकड़ में की गई थी इस वर्ष महज 50 से 60% ही धान की खेती हो सकी है। किसानों से बात करने पर उन्होंने बताया कि हर वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पैदावार बहुत कम होने वाली है। कई किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी उनके सामने अब कर चुका पाने की भी समस्या आ जाएगी जगदीशपुर इलाके के किसानों के कमाई का जरिया धान है।


किसान जितेंद्र ने बताया कि इस बार मौसम ने साथ नहीं दिया और सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया है। उपज इस बार कम होगा। अभी पकने लगता था लेकिन अब तक हरा भरा ही है। कर्ज लेकर खेती किये थे। हमलोग खेती पर ही निर्भर हैं। हर बार देश के गणमान्यों को जो भेजा जाता था इस बार लग रहा है यहां का चूड़ा नहीं पहुँच पायेगा। मकरसंक्रांति तक तैयार होगा तो इस बार स्वाद भी नहीं सही होगा।
जगदीशपुर इलाके में कतरनी धान की खेती के बाद वहाँ के ही चावल व चूड़ा मिलों में धान से चूड़ा बनाकर पैकेजिंग कर बाजारों में भेजा जाता है। इस वर्ष मिल तक धान नहीं पहुंच पाने के कारण कुछ मिल बन्द पड़ चुके हैं तो कुछ मिलों के पुराने धान और दूसरे राज्यों से मंगवाये जा रहे धान से चूड़ा तैयार किया जा रहा है।

चूड़ा मिल संचालक अरविंद प्रसाद शाह ने बताया कि 75 प्रतिशत मारा हुआ है। हम लोग बंगाल से धान मंगाकर तैयारी कर रहे हैं जबकि हमारे जगदीशपुर में इसकी बेहतर पैदावार होती है। इस बार स्थिति पहले के मुकाबले विपरीत है।
कतरनी चावल और चूड़ा की कीमत पिछले वर्ष से अधिक हो चुकी है। बिक्री भी इस वर्ष कम होगी। मकरसंक्रांति तक इसके कीमत में और बढ़ोतरी होगी।
वहीं जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने बताया कि बारिश नहीं हो पाई थी जिसके कारण धान का आच्छादन कम हुआ और उत्पादन भी कम होगा। कतरनी चावल और कतरनी चूड़ा की डिमांड रहती है। बेहतर मार्केटिंग पैकेजिंग और एक्सपोर्ट पर काम कर रहे हैं। पिछले साल एपीडा के माध्यम से विदेशों में जर्दालु आम भेजा था इस बार कतरनी चावल और चूड़ा को भेजने की तैयारी है।

Aapko Yah News Kaise Laga.

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

Share: