गोपालपुर – नवगछिया अनुमंडल के पतित पावन गंगा नदी के किनारे स्थित गोपालपुर प्रखंड के सैदपुर गाँव में 1962 ई से माता की अस्थायी मंदिर बना कर मूर्त्ति बनाकर पूजा -अर्चना ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार गोपालपुर थाना के ततकालीन थानाध्यक्ष बृजभूषण पांडे के द्वारा सैदपुर के संभ्रांत लोगों के सहयोग से 1962 ई में फूस का अस्थायी मंदिर बना कर माँ दुर्गा की पूजा का श्रीगणेश किया गया था. कहा जाता है कि ततकालीन थानाध्यक्ष को संतान नहीं था. माता ने स्वप्न में आदेश दिया कि सैदपुर में मेरा मंदिर बना कर पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. बाद में ठीठर गोसाईं की जमीन पर पक्का मंदिर बना कर पूजा प्रारंभ हुआ.
वर्ष 2011 में ग्रामीणों द्वारा भव्य मंदिर के निर्माण हेतु महेश कुँवर की अध्यक्षता में पाँच करोड रुपये की लागत से मंदिर निर्माण का संकल्प लिया. पाँच मार्च 2012 ई को आगमानंद जी महाराज के द्वारा भव्य मंदिर के नवनिर्माण हेतु शिलान्यास किया गया. माता का भव्य मंदिर राज्यस्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ .सैदपुर गांव माता की नवनिर्मित भव्य मंदिर आसपास सहित दूर दराज के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है. दक्षिण भारतीय शैली में नक्काशी स्तंभ व गुंबद पर किया गया ऊत्तकों को आकर्षित कर रहा है.
गर्भगृह की आंतरिक सज्जा बनारस, दिल्ली व बंगाल के विशेषञ शिल्पकारों द्वारा किया गया है. मूर्त्ति का निर्माण बंगाल के सुप्रसिद्ध मुर्त्तिकार करूडजी के द्वारा किया जा रहा है. सच्चे मन से जो भी माता से फरियाद करता है. माता उसकी झोली को भर देती हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर माताओं द्वारा डालिया व खोइछा चढाया जाता है. पहली पूजा की संध्या से ही यहाँ दूर दराज से दीप जलाने बडी संख्या युवतियां व महिलायें आती हैं. विद्वान पंडितों द्वारा विधि विधान से दुर्गा सप्तश्लकी का पाठ किया जाता है. यहाँ वैष्णवी पद्धति से माता की पूजा की जाती है. साथ ही भव्य मेला, जागरण व कथा का वाचन आयोजित किया जाता है.