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सड़क दुर्घटना के बाद चालक की बिन ईलाज हुई मौत: परिवार ने मालिक पर लगाया शोषण और उपेक्षा का आरोप

बरुण बाबुल, जीएस न्यूज़, नवगछिया

नवगछिया: एक दिल दहला देने वाली सड़क दुर्घटना ने न केवल दो परिवारों को शोक में डुबो दिया, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक सवाल भी खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों मेहनत करने वाले लोग, जो दूसरों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं, अपने मुश्किल समय में मदद से वंचित रहते हैं? यह घटना उस इंसान की है, जिसने 25 वर्षों तक अपने मालिक के लिए वाहन चालक के रूप में सेवाएं दीं, लेकिन जब उसे मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब उसका मालिक उसे अकेला छोड़ गया। यह कहानी है जयराम यादव की, जो अपनी कड़ी मेहनत और ईमानदारी से परिवार का पेट पालने के साथ-साथ अपने मालिक के लिए समर्पित होकर काम करते थे।

वाहन चालक जयराम यादव का फ़ाइल फ़ोटो

सड़क दुर्घटना और इलाज में लापरवाही:

1 अप्रैल 2025 को नवगछिया के कटिहार जिले के समेली क्षेत्र में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें जयराम यादव और उनके मालिक दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा इतना भयानक था कि दोनों को तुरंत समेली सीएचसी से मायागंज अस्पताल भागलपुर रेफर किया गया। इलाज के बाद दोनों को घर भेज दिया गया, लेकिन दुर्घटना के दूसरे दिन ही जयराम यादव की हालत नाजुक हो गई। उनके पेट की नस में गंभीर चोट के कारण पेट में सूजन आ गई और उनका शरीर कमजोर होता चला गया।

परिजनों के अनुसार, 2 अप्रैल को जयराम यादव की हालत और बिगड़ी और उन्हें इलाज के लिए एक बड़े अस्पताल में भर्ती करने का सुझाव दिया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि जयराम यादव के मालिक ने इलाज के लिए कोई भी मदद देने से साफ मना कर दिया। अस्पताल से घर लौटने के बाद जयराम यादव की स्थिति और बिगड़ने लगी, लेकिन मालिक की ओर से किसी भी प्रकार की मदद का कोई संकेत नहीं मिला। जयराम यादव के परिजनों ने कई बार मालिक के परिवार से संपर्क किया, लेकिन उनका व्यवहार बेहद तुनकमिजाज और अपमानजनक था। मालिक के पुत्र और पुत्री ने न केवल फोन पर मदद से इंकार किया, बल्कि अभद्रता से बात भी की, जो इस पूरे मामले को और भी जटिल और दर्दनाक बना दिया।

परिजन के साथ समाज के लोग

मालिक की उपेक्षा और परिवार की स्थिति:

जयराम यादव के परिवार की उम्मीद पूरी तरह टूट गई थी। परिवार ने हर संभव प्रयास किया था, लेकिन जब इलाज की स्थिति और बिगड़ी, तो मालिक ने किसी भी प्रकार का सहारा नहीं दिया। जयराम यादव का परिवार उम्मीद कर रहा था कि कम से कम मालिक उनके इलाज में मदद करेगा, क्योंकि जयराम यादव ने 25 सालों तक पूरी निष्ठा के साथ मालिक के लिए काम किया था। परिवार के अनुसार, जयराम यादव के इलाज के लिए परिवार ने कड़ी मेहनत से पैसे जुटाए, लेकिन फिर भी उन्हें वह मदद नहीं मिल पाई, जो एक मालिक अपने कर्मचारी को मुश्किल समय में दे सकता था।

जयराम यादव की मौत और परिवार के दर्दनाक हालात:

4 अप्रैल 2025 को जयराम यादव को पटना भेजा जा रहा था, ताकि उनका इलाज किया जा सके, लेकिन दुर्भाग्यवश, वे वैशाली जिले के पास एक एम्बुलेंस में ही इस दुनिया को अलविदा कह गए। जयराम यादव का निधन उनके परिवार के लिए एक गहरा आघात था, क्योंकि वह परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। उनकी पत्नी सीता देवी और दो छोटे बच्चे सौरभ (16 वर्ष) और गौरव (11 वर्ष) अब पूरी तरह से असहाय और अनाथ महसूस कर रहे थे। यह समय उनके लिए किसी त्रासदी से कम नहीं था, क्योंकि उन्हें यह सब एक बड़े शोक और आर्थिक संकट के बीच सहना पड़ा।

सड़क दुर्घटना के बाद इलाजरत फ़ोटो (फ़ाइल)

परिजनों का आरोप है कि वाहन  मालिक के परिवार में वह 25 वर्षों से रह रहा था।  महज ₹8000 प्रति माह की नौकरी कर जयराम  परिवार को चला रहा था।  एक समय ऐसा आया था  कोरोना की त्रासदी थी इस बीच में उनके (बड़े मालिक) वाहन मालिक के पिताजी का निधन हुआ था तो जयराम यादव  अकेले वाहन मालिक के साथ बरारी घाट पर जाकर  कोरोना की त्रासदी में अंतिम संस्कार किया था लेकिन घटना के बाद परिजन सब कुछ भूल ग ।

जयराम यादव के परिवार की स्थिति इतनी खराब है कि अंतिम संस्कार के लिए परिवार को कर्ज लेना पड़ा, क्योंकि उनके पास अंतिम संस्कार के लिए पैसा  नहीं था। जयराम यादव की पत्नी सीता देवी और उनके दोनों बच्चे अब इस मुश्किल वक्त में पूरी तरह से अकेले हैं और समाज के सामने एक बड़ा सवाल है – क्या मेहनत करने वालों के साथ यही बर्ताव होना चाहिए?

जयराम यादव की दुखद मृत्यु के बाद, समाज में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश फैल गया है। समाज के लोग यह मानते हैं कि जयराम यादव ने 25 वर्षों तक अपने मालिक के लिए बिना किसी शिकायत के काम किया, लेकिन मालिक ने उसके कठिन वक्त में उसका साथ नहीं दिया। समाज का कहना है कि यह घटना केवल जयराम यादव की नहीं, बल्कि उन सभी मेहनतकश कर्मचारियों की है जो अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों के लिए काम करते हैं, लेकिन जब वे खुद मुश्किल में होते हैं, तो उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है।

समाज के लोग अब जयराम यादव के परिवार के लिए मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं। गाँव समाज के लोगों  ने इस मामले को उठाया है और वे परिवार को आर्थिक और मानसिक सहायता देने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

एक गंभीर सवाल:

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम समाज में उन मेहनतकश लोगों को कितना महत्व देते हैं जो दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपना खून-पसीना बहाते हैं। जयराम यादव ने 25 वर्षों तक अपने मालिक के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी समर्पित की, लेकिन जब वह खुद मदद के लिए मोहताज था, तो उसे किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। यह हमें यह याद दिलाता है कि मेहनतकश लोगों का सम्मान करना और उनके कठिन वक्त में उनकी मदद करना समाज की जिम्मेदारी होनी चाहिए। क्या हम इस समाज में मजदूरों और मेहनत करने वालों की मदद करने का नैतिक कर्तव्य नहीं निभा सकते? क्या हमें अब यह समझने का वक्त नहीं आ गया कि उनका योगदान हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

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