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नवगछिया: राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रधानाध्यापिका, लेखिका, नारी सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक, जुडो कराटे की प्रशिक्षक और शिक्षा के क्षेत्र में देश-विदेश में एक प्रेरणास्त्रोत रही 78 वर्षीय नवगछिया के तेतरी निवासी मीरा झा का निधन रविवार को पटना स्थित पारस अस्पताल में हो गया। उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है और उनके परिवार को प्रदेशभर से सहानुभूति मिल रही है।
मीरा झा का जन्म एक शिक्षा प्रेमी नारायणपुर के नगर पर परिवार में हुआ था। उनकी माता स्व. गायत्री देवी एक शिक्षिका थीं, और पिता स्व. कमलाकान्त झा स्वतंत्रता सेनानी और प्राइमरी स्कूल के शिक्षक थे। उनके परिवार में समाज और शिक्षा के प्रति गहरी श्रद्धा थी। मीरा झा के सास-ससुर उपमा देवी और लक्ष्मेश्वर झा भी समाज सेवा में सक्रिय थे। उनके पति स्व. बीरेन्द्र कुमार झा एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी थे।
मीरा झा के दो पुत्र – भारतेंदु झा और पुरेंदु झा, तथा एक पुत्री रोमा झा हैं। उनके निधन से परिवार के साथ-साथ शिक्षा, साहित्य, और समाज सेवा से जुड़े सभी लोग गहरे शोक में डूबे हुए हैं।
सम्मान और उपलब्धियाँ:
1995 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित मीरा झा ने शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में कई उच्चतम पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए। उन्हें अखिल भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा “सावित्री बाई फूले पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें अंगिका साहित्य कलामंच, ऑगका विकास परिषद, जाह्नवी अंगिका संस्कृति संस्थान पटना द्वारा भी सम्मानित किया गया।
उनका शारीरिक प्रशिक्षण भी उल्लेखनीय था। उन्होंने जूडो कराटे में ब्लैक बेल्ट प्राप्त किया और बिहार शिक्षा परियोजना के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘सबला कराटे’ पाठ्यक्रम को स्कूलों में लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मीरा झा ने यह सुनिश्चित किया कि लड़कियों को भी आत्मरक्षा और शारीरिक शिक्षा में बराबरी का मौका मिले।
मीरा झा ने शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने मलेशिया और थाईलैंड में प्रशिक्षण प्राप्त किया और एशिया के सात देशों के सेमिनार में भाग लिया। वे E. एजुकेशन इंटरनेशनल द्वारा “चैम्पियन आफ वर्कशॉप” की उपाधि प्राप्त करने वाली पहली भारतीय शिक्षिका थीं। इसके अलावा, उन्होंने नई तकनीकों के माध्यम से शिक्षा में सुधार के लिए कई अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं में भाग लिया।
मीरा झा का मुख्य उद्देश्य नारी जागरण और नशा निवारण था। वे शक्तिकुंज हरिद्वार और श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट के साथ मिलकर नारी जागरूकता और समाज में व्याप्त नशे की समस्या को समाप्त करने के लिए निरंतर कार्यरत रहीं। उन्होंने नारी के अधिकारों पर कई लेख, निबंध और कविताएँ लिखीं, जिनका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा।
शिक्षा जगत के कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। सावित्री पब्लिक स्कूल के निदेशक राम कुमार साहू , सचिव कृष्ण कुमार साहू ने मीरा झा के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। बाल भारती विद्यालय के अध्यक्ष पवन सराफ, उपाध्यक्ष अजय कुमार रूंगटा, सचिव अभय मुनका, बाल भारती विद्यालय के प्राचार्य नवनीत सिंह, प्रशासक डी.पी. सिंह, बाल भारती के प्राचार्य कौशल किशोर जयसवाल, तेजस्वी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य सीपीएन चौधरी, प्रशासक नितिन कुमार, आवासीय ज्ञान वाटिका के संचालक राजेश कुमार झा, संस्थापक निलेश कुमार झा, अरविंद मेमोरियल पब्लिक स्कूल के संचालक अमरेंद्र सिंह मुन्ना, निर्देशिका आशा सिंह, प्राचार्य सौरभ कुमार , मॉडर्न वैभव पब्लिक स्कूल के संचालक विश्वास झा ने भी अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की हैं।
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के घनश्याम प्रसाद यादव, राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ के ललित झा, नंदलाल तिवारी, अजीत पाण्डेय, संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. बुद्धि प्रकाश ठाकुर, जी.बी. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शिव शंकर मंडल सहित सैकड़ों समाजिक, राजनीतिक और शिक्षण संगठनों ने भी अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।
मीरा झा की अंतिम यात्रा सोमवार सुबह 8:30 बजे तेतरी से महादेवपुर घाट के लिए निकलेगी। उनके परिवार, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों की भारी भीड़ उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। उनका अंतिम संस्कार महादेवपुर घाट पर संपन्न होगा ।
उनकी निधन से शिक्षा, समाज सेवा और नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो अपूरणीय क्षति हुई है, उसे भरना संभव नहीं है। वे हमेशा अपने कार्यों और योगदान के लिए याद की जाएंगी और उनके द्वारा किए गए कार्यों से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी। मीरा झा का जीवन, उनके योगदान और उनके संघर्षों की प्रेरणा हमें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी।