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अंग प्रदेश ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य जिलों के आस्था का है केन्द्र

प्रत्येक वर्ष सावन माह मे लगता है भव्य मेला

लाखों शिव भक्त चढ़ाते है जल

नवगछिया। गंगा-कोसी नदी के मध्य स्थित बिहपुर के मड़वा गांव में विराजित बड़का भोला बाबा व बाबा ब्रजलेश्वरनाथ धाम अंग प्रदेश ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य जिलों के शिव भक्तों का आस्था का केंद्र है। सावन माह में यहां भव्य मेला लगता हैं। सावन के प्रत्येक सोमवारी पर यहां करीब 2 लाख से अधिक शिव भक्त जल चढ़ाने आते हैं। इनमें 50 हजार से एक लाख के करीब डाकबम होते हैं। जो सुल्तानगंज अगुआनी सहित स्थानीय गंगा घाटों से जलभर कर यात्रा कर यहां आते हैं। इसे बाबा ब्रजलेश्वरनाथ धाम व बड़का भोला बाबा के नाम से भी जाना जाता हैं। यहां का भादो पूर्णिमा का मेला पूरे राज्य में विख्यात हैं।

350 वर्ष से अधिक पुराना हैं बाबा मंदिर का इतिहास

बाबा ब्रजलेश्वरनाथ धाम मंदिर का इतिहास करीब 350 वर्ष से अधिक पुराना हैं। इस मंदिर का निर्माण क्षेत्र के तत्कालीन राजा झब्बन सिंह के पूर्वज ने जनसहयोग से कराया था। कहा जाता है कि जिस स्थान पर अभी मंदिर है, वहां पूर्व में जंगल था। एक चरवाहे की गाय जंगल में एक स्थान पर रोज पहुंचती थी और उसका दूध वहां गिरने लगता था। यह बात जब उस चरवाहे ने गांव के लोगों को बताई तो गांव के लोगों ने अगले दिन देखा तो चरवाहे की बात को सत्य पाया।

लोग उस जगह को कुदाल खोदने लगे। इस दौरान कुदाल एक शीला से टकराई और कुदाल में रक्त लग गया। लोगों ने देखा कि जिस शीला से कुदाल टकराई थी वह शिवलिंग था। उसी रात राजा समेत ग्रामीण को एक स्वप्न आया उसके बाद मंदिर का निर्माण किया गया। सरपंच प्रतिनिधि सह मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मनोहर चौधरी, सचिव श्यामसुंदर राय, कोषाध्यक्ष विमल शर्मा सहित प्रबुद्ध लोगों ने बताया कि बाबा ब्रजलेश्वरनाथ को स्थापित नहीं किया गया है बल्कि वे स्वयंभू हैं।

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