मंजूषा कला को नया आयाम देने के लिए सीसीआरटी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से सीनियर फैलोशिप के तहत बिहुला विषहरी गाथा आधारित मंजूषा लोक चित्रकला शोध करने आए मंजूषा गुरु मनोज कुमार पंडित अपनी टीम के साथ नवगछिया के उजानी बिहुला डीह और बिहुला तालाब का निरीक्षण किए। इससे जुड़ी कथा को जानने के लिए वहां के लोगों से बातचीत किए। जिसमें मु. असगर, मु. कलीम, मु. अयूब,मु. सज्जाद और मु. तजमुल से बात हुई। उन लोगों ने बताया कि हम भी अपने दादा परदादा से सुनते आए हैं। यह बिहुला डीह है। यह बिहुला स्नान करती थी। हम लोग जब छोटे थे तभी यहां पर बिहुला विषहरी नाच भी होता था।
हम लोग रात भर नाच देखते थे। वही बगल के गांव में मीरा देवी, देवकी देवी, मु. अजमल का कहना है कि बचपन में यहां पर शेखचिल्ली की कहानी के साथ-साथ बिहुला की कहानी भी दादी दादा सुना करते थे और अन्य साथी अल्लाह रुदल की कहानी सुनाते थे। लेकिन अब यहां पर कुछ नहीं है। सिर्फ मान्यताएं हैं। यहां भी है बिहुला तालाब। इसी क्रम में पूरी टीम के साथ श्री पंडित बाजार पहुंचे जहां पर विषहरी स्थान के संरक्षक मुकेश राणा विमल किशोर पोद्दार नरेश साह अनीस यादव से भी मिले। इन लोगों ने बताया कि हम लोग के लिए गर्व की बात है कि हमारे घर की बेटी बिहुला थी। इसी दौरान मंजूषा कलाकार खुशी श्री और अंजिली कुमारी, संघ्या कुमारी से भी मुलाकात कर पेंटिंग की जानकारी लिया।
वही मुकेश राणा ने कहा है कि नवगछिया में हुनर की कोई कमी नहीं है।यहां मंजूषा पेंटिंग के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन होना चाहिए नवगछिया अनुमंडल अस्पताल व गोपालपुर सीएचसी में मंजूषा पेंटिंग से दीवारों को सजाया गया है।नवगछिया के जमी से जुड़ी सती बिहुला की कहानी को दर्शाता मंजूषा पेंटिंग को अनुमंडल अस्पताल के दीवारों पर उकेरा गया है। अस्पताल के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्वच्छता के थीम और प्रसव कक्ष के बाहर डाक्टर और मरीज के भावों को सजाया गया है।