श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान भगवान शिव का रुद्राभिषेक हुआ. तीन दर्जन लोगों ने शिवलिंग की पूजा की. पांच घंटे चले इस रुद्राभिषेक कार्यक्रम विद्वान पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार से संपन्न हुआ. इस दौरान सत्संग व भजन भी हुए. सावन शुक्ल सप्तमी पर आयोजित इस समारोह में रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज पूरे समय वहां उपस्थित रहे. बलवीर सिंह बग्घा, माधवानंद ठाकुर, सोनी पांडेय, समीर पांडेय आदि के भजनों पर लोग थिरकने लगे. समारोह का संचालन दिलीप शास्त्री ने किया. धन्यवाद ज्ञापन मनोरंजन प्रसाद सिंह ने किया.
स्वामी आगमानंद महराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास महान संत थे. जिन्होंने भारतीय सभ्यता संस्कृति की रक्षा भी की थी. श्रीरामचरितमानस आज विश्व का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है, जिसका अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है.
मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा ने स्वामी तुलसीदास और रामचरित मानस के कई प्रसंगों की व्याख्या की. इस दौरान सभी की आंखें नम हो गयी. उन्होंने रामायण की चौपाई सुना कर सभी को भावविभोर कर दिया. कार्यक्रम में रामचरितमानस की 20 प्रतियां लोगों को दी गयी, जिन्होंने प्रतिदिन कम से कम एक पृष्ठ इस ग्रंथ को पढ़ने का वचन दिया. गीतकार राजकुमार ने जैसे ही स्वामी आगमानंद की जय-जय भजन गाना शुरू किया सभी लोगों ने खड़े होकर अपने गुरुदेव का जयकारा लगाने लगे.
गीतकार राजकुमार ने तुलसीदास के पूर्व जन्म की कथा को वर्तमान जन्म से जोड़ते हुए कहा वाल्मीकि ने ही तुलसीदास के रूप में अवतार लिया. वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण की रचना की, तो तुलसीदास ने अवधि भाषा में रामचरितमानस लिख डाला. जो आज सबसे बड़ा और महान ग्रंथ है. दिलीप शास्त्री ने कहा कि नवगछिया का नगरह गांव आध्यात्मिक दृष्टि से काफी समृद्ध है. यह हमसबों के लिए सौभाग्य है कि यहां स्वामी आगमानंद महाराज उस दिन अवतरित हुए, जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था. स्वामी आगमानंद महाराज श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर होने के साथ ही उत्तरतोताद्रि मठ अयोध्या के उत्तराधिकारी हैं. श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद से आशीर्वाद लेने वहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.