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बिहार के अंगनबाड़ी केन्द्रों में काम करने वाली सेवाकाएं अब खेती का गुर सीखेंगी। खेतीबारी की तकनीक सीखने के बाद सरकार इन सेविकाओं को कुपोषण से चल रही जंग में अगली कतार में खड़ा करेगी। अपने केन्द्रों पर ही ये सेविकाएं पोषणयुक्त सब्जी की खेती करेंगी। बच्चों के साथ धातृ महिलाओं में कुपोषण दूर करने के लिए उन्हें ये सब्जियां दी जाएंगी।

सेविकाओं की खेती की जानकारी देने के लिए हर जिले में 11 मास्टर ट्रेनरों की ट्रेनिंग सोमवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने शुरू कर दी। तीन दिनों की ट्रेनिंग के बाद ये सभी मास्टर ट्रेनर अपने जिले की सेविकाओं को खेती की जानकारी देंगे। ट्रेनिंग का कार्यक्रम पूरा होने के बाद आईसीडीएस निदेशालय ‘अपनी क्यारी- अपनी थाली’ योजना का बड़े पैमाने पर विस्तार करेगा।

राज्य सरकार ने कोराना को भगाने के लिए कुपोषण को दूर करने करने का अभियान शुरू किया है। इसके लिए आईसीडीएम निदेशालय कृषि संस्थाओं के साथ मिलकर चार जिलों में ‘अपनी क्यारी- अपनी थाली’ योजना चला रहा है। इस योजना का विस्तार 23 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में करना है। ये ऐसे अंगनबाड़ी केन्द्र है जिनके पास केन्द्र में थोड़ी बहुत जमीन भी उपलब्ध है। उन्हीं भूखंडों पर खेती करने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय को सेविकाओं को ट्रेनिंग देने की जिम्मेवारी दी गई है।

योजना शुरू करने के पहले बीएयू ने हर आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए जमीन के रकबे के अनुसार खेती का मॉडल तैयार किया है। दरअसल योजना शुरू हुई तो चार जिलों में आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चे भी मशरूम जैसी पौस्टिक सब्जी खाने लगे। उन्हें टेकहोम राशन में भी मशरूम दिया जाता है। सरकार की यह योजना कुपोषण दूर करने का मूल मंत्र बन गई है। लिहाजा सरकार ने इसका विस्तार सभी जिलों में करने का फैसला लिया है।

योजना का आंकड़ा
23 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में चलेगी योजना
38 जिलों में चलेगी योजना
20 मॉडल तैयार किया है बीएयू ने
11 मास्टर ट्रेनर तैयार किये जा रहे हर जिले में

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