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दामाद और भांजे को दिया गया उपहार में छागर

नवगछिया नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 06 स्थित सिमरा गांव में स्थित माँ दक्षिणेश्वरी काली मंदिर में चल रहे पांच दिवसीय बहरयात्रा पूजा का समापन सोमवार की देर रात हुआ। इस पूजा का आयोजन 13 फरवरी 2025, गुरुवार से हुआ था और सोमवार को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ इसका समापन हुआ।

पूजा का आयोजन हर साल सैकड़ों वर्षों से जारी है, जिसे पं. कौशलेंद्र नारायण झा द्वारा तंत्रोक्त विधि से किया जाता है। पं. झा ने बताया कि इस पूजा की शुरुआत हमारे पूर्वजों द्वारा की गई थी और यह परंपरा आज भी जीवित है। यह पूजा खासतौर पर तंत्र विधि से की जाती है, जिससे मंदिर में श्रद्धालु आकर खास अनुभव प्राप्त करते हैं। इस वर्ष भी बहरयात्रा पूजा में मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया, और गांव के हर व्यक्ति ने पूजा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

बहरयात्रा पूजा के अंतिम दिन, सोमवार की रात, विशेष आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। इसमें वैदिक मंत्रोच्चारण, हवन और कई प्रकार के पूजन कार्य संपन्न हुए। इसके साथ ही, मंदिर कमेटी द्वारा भक्तों को चढ़ाए गए छागर को दामाद और नाती के बीच उपहार में वितरित किया गया, जो यहां की एक पुरानी परंपरा है। इस अवसर पर ब्राह्मणों को भोजन कराया गया जिसमें सैकड़ों की संख्या में ब्राह्मणों ने सहभागिता की।

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अविनाश मिश्रा ने बताया कि इस बार माता के दरबार का भी जीर्णोद्धार कार्य किया गया है। साथ ही, रूप सज्जा में भी विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि भक्तों को एक दिव्य अनुभव प्राप्त हो सके। सोशल मीडिया के माध्यम से दूर-दराज के लोग भी इस आयोजन से जुड़े हुए थे और मंदिर में हो रहे आयोजन को देख रहे थे।

पूजा के दौरान संध्या समय में पूरे गांव के लोग एक साथ खड़े होकर माँ काली की आरती करते हैं, जो गांव में भक्ति की गहरी लहर को प्रकट करता है। पूजा के दौरान महिलाओं द्वारा महादेव की पूजा अर्चना भी की जाती है। यह आयोजन न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह एकता और भाईचारे का भी प्रतीक बन चुका है।

सिमरा गांव के राजा झमन्न सिंह ने काली माता की पूजा के लिए पहले कुछ ब्राह्मणों को यहां बसाया था, जिनकी वजह से आज सिमरा गांव की पहचान इस पूजा के कारण बनी हुई है। यह पूजा अब हर साल आयोजित होती है और गांव के सभी लोग इसमें श्रद्धा और जोश से भाग लेते हैं।

इस बार के आयोजन में विशेष रूप से मंदिर कमिटी के सदस्य जैसे सचिव रियुष कुमार सावर्ण, कोषाध्यक्ष नन्द नंदन झा, सीबीएस आत्मानंद सहित सिमरा गांव के कई लोग मौजूद थे। इस बार के आयोजन ने साबित कर दिया कि सिमरा गांव में भक्ति और श्रद्धा का कोई भी अवसर बिना एकता के नहीं होता, और हर साल यह आयोजन गांव के लोगों के लिए एक नए उत्साह का कारण बनता है।

पूरे गांव में आज भी भक्ति की एक अद्भुत लहर है और इस भव्य पूजा आयोजन ने सबको एकजुट कर दिया है। यह पूजा न केवल धार्मिक है, बल्कि यह गांव की सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का भी प्रतीक है।

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