भारतीय पुलिस सेवा के 1988 बैच के अधिकारी एसके सिंघल ने बुधवार को बिहार के डीजीपी का प्रभार संभाल लिया। कामकाज शुरू करते ही उन्होंने सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और पुलिस की प्राथमिकताएं तय की।
पुलिस में अधिकांश मामलों में सिपाही, दारोगा और इंस्पेक्टर पर ही जिम्मेदारी तय होती थी पर अब ऐसा नहीं होगा। राजपत्रित पुलिस अधिकारियों यानि एसपी-डीएसपी और उससे ऊपर के अफसरों को भी अब जिम्मेदार लेनी होगी।
डीजीपी एसके सिंघल ने आदेश दिया कि अपराध नियंत्रण, विधि-व्यवस्था और शराबबंदी पर पुलिस पूरी ताकत से काम करे। इसमें किसी भी सूरत में इन मामलों में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुलिस के मानव संसाधन के बेहतर इस्तेमाल को भी प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है। इसके तहत अधिकारियों और जवानों को ढूंढ़कर वैसे जगहों पर तैनात किया जाएगा, जहां वह बेहतर कर सकते हैं।
लोगों की अपेक्षा हर हाल में पूरी होगी
डीजीपी ने बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर कहा कि पुलिस से लोगों की जो अपेक्षाओं होती है उन्हें हर हाल में पूरा किया जाए। इसके साथ उन्होंने गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के संबंध में रोजना मॉनिटिरिंग के भी आदेश दिए। यह काम पुलिस मुख्यालय के स्तर से होगा और सभी जिला पुलिस को इसकी रोजाना रिपोर्ट भेजनी होगी।
गंभीर मामला तो कठोर सजा
डीजीपी ने पुलिस की प्राथमिकताओं में विभागीय कार्यवाही के मामलों को भी रखा है। इसके तहत गंभीर आरोपों में विभागीय कार्यवाही होने पर सजा भी कठिन होनी चाहिए। ऐसा नहीं चलेगा कि आरोप गंभीर हैं और हल्की सजा देकर विभागीय कार्यवाही का निपटारा कर दिया जाए। इसपर भी पुलिस मुख्यालय की पैनी नजर होगी।
हमने पुलिस की प्राथमिकताएं तय कर दी हैं। राजपत्रित पुलिस अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी। मानव संसाधन का बेहतर इस्तेमाल किया जाएगा और लोगों की पुलिस से अपेक्षाओं को हर हाल में पूरा किया जाएगा। – एसके सिंघल, डीजीपी