भागलपुर: सर्टिफिकेट केस मामले में फैसला सुनाए जाने के सात माह बाद भी बैंकों ने स्वास्थ्य और कल्याण विभाग को राशि नहीं लौटाया है। इसको लेकर कल्याण विभाग ने नीलामपत्र वाद पदाधिकारी डीडीसी सुनील कुमार को दो बार पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि नीलामपत्र वाद में फैसला आने के बाद भी बैंकों द्वारा राशि नहीं दी जा रही है। साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश भी मांगा गया है। पत्र का जवाब डीडीसी के यहां से विभाग को नहीं आया है। डीडीसी के यहां से दिशा-निर्देश आने के बाद विभाग आगे की कार्रवाई करेगा।
नहीं जारी हुआ बैंकों पर वारंट
सृजन घोटाला में स्वास्थ्य और कल्याण विभाग के बैंक खातों से राशि की हेराफेरी मामले को लेकर किए गए सॢटफिकेट केस की सुनवाई कर रहे डीडीसी सुनील कुमार ने फरवरी में फैसला सुनाते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वे 30 दिनों के अंदर दोनों विभागों को 221 करोड़ रुपये वापस करें और इससे संबंधित दस्तावेज 24 मार्च को अगली सुनवाई के दौरान जमा करें। निर्धारित समय के अंदर राशि वापस नहीं की गई तो फिर वारंट जारी किया जा सकता है। लेकिन सात माह बीत जाने के बाद भी बैंकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
तीन बैंकों के दो शाखाओं के विरुद्ध हुए थे केस
कल्याण विभाग से राशि की अवैध निकासी मामले में जिला कल्याण पदाधिकारी ने नीलाम पत्र शाखा में 29 जुलाई 2019 को कागजात जमा किए थे, जबकि इस मामले में 30 सितंबर 2019 सॢटफिकेट केस दर्ज हुआ था। इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया की दो शाखाओं पर केस किया गया था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन ने बैंक ऑफ बड़ौदा पर 44 लाख 83 हजार रुपये की अवैध निकासी की वसूली के लिए 11 नवंबर 2017 को सॢटफिकेट केस दायर किया था। करीब दो साल तक जिला आपूॢत पदाधिकारी के यहां केस चला। इसके बाद केस को डीडीसी के पास ट्रांसफर किया गया। डीडीसी ने एक अक्टूबर 2019 को सुनवाई शुरू की और फरवरी में फैसला दिया।
इन बैंकों को वापस करनी है रकम
-बैंक ऑफ बड़ौदा : 189 करोड 28 लाख, 87 हजार 357 रुपये
-इंडियन बैंक : 10 करोड़ 60 लाख 58 हजार 400 रुपये
-बैंक ऑफ इंडिया : 6 करोड़ 91 लाख 33 हजार 712 रुपये
-बैंक ऑफ इंडिया सबौर : 14 करोड़ 79 लाख 99 हजार 600 रुपये