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राजधानी पटना में 1000 और 500 रुपए के स्टांप पेपर की किल्लत हो गई है। यह समस्या लॉकडाउन में नासिक प्रिंटिंग प्रेस बंद हो जाने के कारण उत्पन्न हुई है। हालांकि, अन्य मूल्य के स्टांप पेपर उपलब्ध हैं। जो स्टांप पेपर उपलब्ध हैं उसकी ऊंची कीमत पर धड़ल्ले से कालाबाजारी हो रही है। दलाल स्टांप पेपर को डेढ़ से दोगुना दाम पर बेच रहे हैं, इसमें स्टांप वेंडरों की भी मिलीभगत है। अधिकारियों का कहना है कि 1000 और 500 के स्टांप पेपर को उपलब्ध होने में एक सप्ताह का समय लगेगा। 

पटना जिले में स्टांप पेपर नासिक के प्रिंटिंग प्रेस से हर माह मंगाया जाता है लेकिन मार्च में लॉकडाउन होने के बार्द प्रेस को बंद कर दिया गया था। प्रिंटिंग प्रेस बंद होने के बाद सप्लाई भी बंद हो गई, जिससे कोषागार एवं वेंडरों के पास उपलब्ध स्टांप पेपर से ही काम चल रहा था। हालांकि, लॉकडाउन में रजिस्ट्री ऑफिस एवं सरकारी दफ्तर बंद होने के कारण स्टांप पेपर की खपत भी कम हो गई थी लेकिन लॉकडाउन 3 में जैसे ही रजिस्ट्री का काम शुरू हुआ वैसे ही स्टांप पेपर की मांग बढ़ गई। ऐसे में स्टॉक में उपलब्ध स्टांप पेपर की कालाबाजारी शुरू हो गई। इसका खुलासा तब हुआ जब डीएम कुमार रवि के निर्देश पर कोषागार पदाधिकारी ने कलेक्ट्रेट स्थित रस्टम वेंडरों के दुकानों पर बुधवार को छापामारी की।

हर महीने 4 करोड़ के स्टांप पेपर की होती है बिक्री
पटना जिले में लगभग 4 करोड़ के स्टांप पेपर की बिक्री होती है। स्टांप पेपर को नासिक से सबसे पहले कोषागार में लाया जाता है। उसके बाद जिला प्रशासन द्वारा अनुज्ञप्ति प्राप्त स्टांप वेंडरों को दिया जाता है। पटना जिले में सभी अनुमंडल  को मिलाकर कुल 44 स्टांप वेंडर है।

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