नवगछिया के बड़ी घाट ठाकुरबाड़ी में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास सिया वल्लभ शरण महाराज ने सुदामा चरित्र का प्रसंग श्रद्धालुओं को सुनाया। सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भावुक हो उठे। कथा सुनाते वक्त महाराज जी ने बताया कि कभी भी मित्र के साथ धोखा नही करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भागवत कथा ही ऐसी कथा है, जिसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। भगवान कृष्ण के सामान कोई सहनशील नही है। क्रोध हमेशा मनुष्य के लिए कष्टकारी होता है।
इसके साथ कथा के अंतिम दिन श्री कृष्ण लीला में श्री कृष्ण का जन्म, बाल कथा, मधुवन में गोपियों के साथ रास-लीला उसके बाद कंश वध आदि गाथाओ का वर्णन हुआ। कथा में मन-मुग्ध होकर महिला मंडल ने नृत्य भी किया। ततपश्चात श्री कृष्ण की आरती के साथ समापन करते हुए श्रद्धालुओं को शनिवार को पूर्णाहुति के लिए आमंत्रित किया। मौके पर कमेटी के कांतेश कुमार, प्रवीण भगत, कृष्ण भगत, विश्वास झा, चंदन सिंह, शंकर प्रसाद जायसवाल, यज्ञाचार्य ललित झा, हिमांशु शेखर झा, विनय कुमार, अविनाश मिश्र आदि ने कार्यक्रम में सहयोग किया।