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नवगछिया : प्रख्यात लोक गीत गायिका और स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के निधन पर बुधवार को क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, रंगकर्मियों और संगीत साधकों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। शिक्षिका डा. सुनीता कुमारी बास्की ने बताया कि शारदा सिन्हा जी अपने गीतों में आंचलिकता को जीतीं थीं और उनके गीत अंगिका, भोजपुरी, मैथिली, वज्जिका सहित अन्य भाषाओं में मिलते थे।

संगीत शिक्षक राजेश कुमार उर्फ रंजू भायजी ने कहा कि शारदा सिन्हा जी ने राग भैरवी में दीपचंदी और रूपक ताल में छठ गीतों का गाया था, जो भारतीय संगीत की अमूल्य धरोहर बन गए। लोक गायक चेतन परदेशी ने भी उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा ने अधिकांश गीत पूर्वी भारत में गाए हैं, जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं।

सुशीला संगीत महाविद्यालय चकरामी के प्राचार्य सच्चिदानंद शर्मा ने शारदा सिन्हा के निधन को संगीत और राग दोनों के लिए अपूरणीय क्षति बताया। भजन सम्राट हिमांशु मोहन उर्फ दीपक मिश्रा, गायक धीरज कांत, तबला वादक नित्यानंद झा, प्रो. अजीत कुमार, रंजीत मंडल, प्रमोद नागर, प्रो. (डा.) रितिका गौतम, विदेश्वरी शर्मा, अजय रविदास, सुभारत शिवम, अनिल कुमार शर्मा सहित अन्य संगीत प्रेमियों ने शोक व्यक्त किया है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।

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