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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कई जिलों में बना जागरूकता कार्यक्रम चुनाव आयोग के मानक के अनुरूप नहीं निकला। आयोग के निर्देश पर 27 जिलों ने अपना स्वीप प्लान प्रस्तुत किया था, जिसमें से नौ जिलों के प्लान में कैप सर्वे के नतीजों को शामिल नहीं किया गया था। मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच श्रीनिवास ने उन सभी जिलों को फिर से स्वीप प्लान बनाकर भेजने का निर्देश दिया है। कहा गया है कि यह प्लान इस तरह बनाया जाना चाहिए जिसमें कैप सर्वे 2019 के  नतीजों पर आगे का प्रयास दृष्टिगोचर हो।  
चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व मतदाता जागरूकता अभियान को लेकर चिंतित है। कैप सर्वे 2019 के नतीजों ने उसे और चिंतित कर दिया है। कैप सर्वे में आये नतीजों के आधार पर ही इस बार मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है, ताकि विधानसभा चुनाव में गिरते वोटिंग प्रतिशत को थामा जा सके।

पिछला कैप सर्वे इसी बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए हुआ था कि राज्य में वोटिंग प्रतिशत कम क्यों हो रहा है।
चुनाव आयोग राज्य में विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक मतदाताओं की भागीदारी चाहता है। इसलिए कैप सर्वे से सबक लेकर बनाये गए स्वीप प्लान को ही मंजूरी दी जा रही है। 24 अगस्त को सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग में ही आयोग ने संबंधित जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिया कि राज्य के नौ जिलों में स्वीप प्लान को रिवाइज किया जाये। उसे कैप सर्वे के नतीजों के मुताबिक ढाला जाये, वहीं बाकी 11 जिलों को निर्देश दिया गया कि वे अपना स्वीप प्लान आयोग को जल्द से जल्द सौंपे ताकि राज्य में मतदाता जागरूकता अभियान को गति दिया जा सके।  

कैप सर्वे 2019 के इन निष्कर्षों पर बनना है स्वीप प्लान
66.4 फीसदी वोटर को ही मतदाता बनने की न्यूनतम आयु की थी जानकारी, 70.7 फीसदी वोटर को मतदाता रजिस्ट्रेशन के क्वालिफाइंग तिथि की नहीं थी जानकारी, 90 प्रतिशत मतदाताओं को नेशनल वोटर डे मनाने की नहीं थी जानकारी, 55.8 फीसदी वोटर को नोटा विकल्प की नहीं मिली थी जानकारी, 73.5 फीसदी मतदाता ईवीएम में ब्रेल बटन से मिले अनजान, 49.3 फीसदी वोटर को वीवीपैट के बारे में नहीं मिली थी जानकारी, वोटर हेल्पलाइन एप व सी विजिल की जानकारी कम ही मतदाताओं को थी, 50 फीसदी मतदाताओं को ही ‘देश का महात्योहार’ व कोई मतदाता न छूटे जैसे नारे थे याद, सर्वाधिक 32.4 फीसदी मतदाताओं ने महेंद्र सिंह धौनी के मोटिवेशनल मैसेज को रखा था याद, 83.4 फीसदी वोटरों ने चुनाव आयोग की वेबसाइट का कभी नहीं किया उपयोग, 99.5 फीसदी मतदाताओं को वोटर हेल्पलाइन 1950 की नहीं थी जानकारी।

कैप सर्वे में वोट न देने के मतदाताओं ने गिनाये ये कारण
मतदाता सूची में नाम नहीं था शामिल              37.4 फीसदी
मतदान के दिन में क्षेत्र में नहीं था                    24.2 फीसदी
मतदाता पहचान पत्र ही नहीं था                       1.5 फीसदी
पोलिंग बूथ की जानकारी नहीं थी                 2.0 फीसदी
मतदान केंद्र काफी दूर था                          3.0 फीसदी
असुरक्षा के कारण बूथ तक नहीं गया             7.4 फीसदी
मेरी पसंद का कोई उम्मीदवार ही नहीं था           0.4 फीसदी
मेरे वोट से कोई बदलाव आने वाला नहीं           0.9 फीसदी
लोकसभा चुनाव में एक वोट की महत्ता नहीं      0.1 फीसदी
बूथ तक पहुंचना बहुत कठिन था                   0.3 फीसदी
अन्य कारण                                             9.4 फीसदी
कोई उत्तर नहीं                                       12.8 फीसदी

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