भागलपुर, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय अक्सर विवादों में गिरे रहते हैं, विश्वविद्यालय में अक्सर छात्रों का प्रदर्शन देखा गया। कभी सर्टिफिकेट को लेकर हंगामा तो कभी छात्र नेताओं का परीक्षा में देरी को लेकर प्रदर्शन तो कभी हॉस्टल की समस्या को लेकर… अक्सर छोटी मोटी चीजों को लेकर छात्र छात्रों के द्वारा विश्वविद्यालय में प्रदर्शन और हंगामा करते देखा गया है।वही तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित परीक्षा शाखा के मुख्य दरवाजे पर दो दर्जन से अधिक छात्र-छात्राओं ने शुक्रवार की दोपहर में जमकर हंगामा किया। आक्रोशित छात्र-छात्राओं का कहना था कि बीते दिनों से विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं…सर्टिफिकेट लेना है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन सुन नहीं रहे हैं।रोज घूम कर यहां से जा रहे हैं। दिन भर लाइन में खड़ा रहना पड़ता है… लेकिन काम नही हो पाता है तो घर वापस जाना पड़ता है। हम लोग दूर से आते हैं। लेकिन हम लोगों का कोई सुनने वाला नहीं है। एक छात्रा मीडिया के सामने अपनी समस्या बताते–बताते रोने लगी।छात्रा को भी सर्टिफिकेट लेने विश्वविद्यालय पहुंची थी लेकिन उसे कर्मचारियों ने वापस भेज दिया था दरअसल छात्रा बीएससी ऑनर्स साइंस का सर्टिफिकेट लेने के लिए पहुंची थी।सर्टिफिकेट नहीं मिलने से नाराज छात्रा मीडिया कर्मी के सामने रोने लगी वही छात्रा आरती कुमारी ने बताया कि वह बीते दो दिनों से विश्वविद्यालय में चक्कर काट रही है। खगड़िया जिले से वह सर्टिफिकेट लेने के लिए भागलपुर विश्वविद्यालय पहुंचे हैं …
छात्र ने कहा उनके सर्टिफिकेट में नाम गलती कर दिया गया था, जिसको सुधार के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय में दिया था लेकिन हस्ताक्षर के नाम पर उसे घुमाया जा रहा है।
वही साहिबगंज के रहने वाले छात्र तोहिद आलम ने बताया कि वह पिछले डेढ़ माह से ऑनर्स का सर्टिफिकेट लेने के लिए घूम रहा हूं। यूनिवर्सिटी पहुंचा था।लेकिन कर्मचारी टालमटोल कर रहे हैं। कभी ऊपर भेजते हैं तो कभी नीचे काउंटर पर भेजते हैं। कुछ ने कहा कि मुझे पता ही नहीं…आप अपने खुद देख लो।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता कुणाल पांडे ने बताया की रोजाना यहां सैकड़ों छात्र छात्रों का जमाबड़ा होता है। दरअसल, यह जमाबड़ा छात्र छात्राओं का इसीलिए लगा रहता है। क्योंकि रिजल्ट के बाद उसे डिग्री एवं अन्य सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।लेकिन विश्वविद्यालय के तरफ से जल्द नहीं दिया जाता है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर अवैध उगाही करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 1973 से विश्वविद्यालय में कभी गेट नहीं लगा था, लेकिन आज गेट लगाकर छात्र-छात्राओं का काम मनमाना तरीके से काम होता है… उनसे मनमाना तरीके से पैसे की वसूली की जाती है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले पर ध्यान देना होगा।