May 29, 2022
हिंदी कविता : “बुलंद हौसले” टी के पांडेय की रचना ||GS NEWS
UncategorizedDESK 04टी के पांडेयदिल्ली हौसला बुलंद हो, अगर समर प्रचंड हो।हम रुके कभी नहीं,हम झुके कभी नहीं। अनंत सूर्य सामने, लगे हों आज नापने।आत्म बल प्रबल रहे, मन अगर सबल रहे। आँधियाँ हिलोर ले, अरि वार जोर ले।नीतियां कठोर ले, भार सर पे घोर ले। नहीं कभी भी पथ डिगे,सत्य जो वही लिखे।क्या किसी का चाल है, दिखता भूचाल है। प्रसाद लो, प्रसन्न हो, हौसला दुरुस्त हो।देख लो अरि अगर,खड़ा सुस्त सुस्त हो। मुस्टिका प्रहार हो, सामने दीवार हो।उसे ध्वस्त कर सको, हौसला धर सको। DESK 04