October 13, 2020
“दहेज उन्मूलन फेल” पढिये प्रभाकर सिंह की कविता
हिंदी रचनाBarun Kumar Babulदहेज उन्मूलन फेल♀️♀️♀️♀️♀️♀️दहेज उन्मूलन का दावामानव शृंखला तक रह गया।तब प्रण सबने लिया कदाचितपरन्तु मैं नहीं!सब कह गया। बेटी के पापा जिनको हाँ दहेज ना देने की है आस। बेटा बाप मन्नत माँगते दहेज और मिल जाये काश। पाँच लाख के साथ निश्चितमोटर कार भी लाइयेगा।मन मुताबिक नहीं रहा!तभीबैरंग वापस जाइयेगा। क्योंकि पिछले साल ही मैने भारी-भरकम दहेज दिया हैं। पाई-पाई भुगताने में हाँ!मेरी जान तक लिया है। दहेज़ उन्मूलन खातिर हाँप्रतिशोधो को तजना होगा।इस दहेज अभिष्पत नदी कीधारा रुख मोडना होगा। धन्यवाद।प्रभाकर सिंहकदवा, नवगछिया, भागलपुर। Barun Kumar Babul