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  • नवगछिया : बिहार में उद्योग लगाने के लिए अपार संभावनाएं हैं, कई देशी और विदेशी कंपनियां बिहार बिजनेस कनेक्ट में हिस्सा लेने पहुंची थी. उसमे से एक थे भागलपुर जिले के नवगछिया के लाल महेश कुमार। महेश कुमार भी अपने सपने लेकर बिहार लौटे हैं. अमेरिका में आईटी के क्षेत्र में काम कर रही इनकी कंपनी टाइगर एनालिटिक्स ने बिहार आने का फैसला लिया और इन्होने अब पटना में अपने कंपनी का ऑफिस भी खोला है. पूरा परिवार कपड़ा बेचता है और ये सॉफ्टवेयर बेचते हैं। महेश अमेरिका गए थे पीएचडी करने। प्रोफेसर की नौकरी भी की, मजा नहीं आया तो बिजनेस में उतरे। 12 सालों में इन्होने 3 हजार करोड़ की कंपनी बनाई और आज 5 हजार कर्मचारी कंपनी में करते है काम।

यह कहानी है भागलपुर जिले के नवगछिया के महेश कुमार की। वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में जाना पहचाना नाम है। एक समय था जब उनके पिता पुरुषोत्तम यादुका ने खुद महेश को बिहार में बिजनेस करने से रोका था. लेकिन अब पटना में भी महेश कुमार ने कंपनी का ऑफिस खोला है।
आइए जानते हैं नवगछिया के लाल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में सफलता की कहानी..

महेश ने खास बातचीत में बताया की टाइगर एनालिटिक्स कंपनी शुरू करने को लेकर कभी कोई प्री प्लान ही नहीं था। 1995 में सैनिक स्कूल से स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। फिर आगे की पढ़ाई के लिए साल 1999 में अमेरिका चला गया, क्योंकि उस वक्त विदेश जाकर पढ़ाई करने का काफी चलन हुआ करता था। बोस्टन के एमआईटी कॉलेज से पीएचडी पूरी की। पीएचडी कंप्लीट करने के बाद इसी कॉलेज में मैं प्रोफेसर की नौकरी मिल गई। फिर भारत जाने का मन ही नहीं हुआ। 8 सालों तक उसी कॉलेज में प्रोफेसर रहा।

खुद की सेविंग से शुरू की कंपनी

महेश कुमार ने बताया की प्रोफेसर के पद पर काम करते हुए ही मुझे ऐसा लगा कि अब खुद का कुछ शुरू करना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे मैंने अपने बदौलत पैसे जुटाना शुरू किया जिसमे मेरी पत्नी पूजा ने भी मेरा पूरा सहयोग किया। साल 2011 में टाइगर एनालिटिक्स की नींव रखी। शुरुआती दौर में कंपनी में कोई काम नहीं करना चाहता था। दो-तीन साल लगे थे 4 से 5 एम्पलाइज हायर करने में, लेकिन आज इसी कंपनी में दुनिया भर से 5000 एम्पलाइज काम कर रहे हैं। आज हमारी कंपनी किसी पहचान की मोहताज नहीं है।

ऐसे नहीं बनी 3000 करोड़ की कंपनी

महेश बताते हैं, टाइगर एनालिटिक्स की सबसे बड़ी बात है कि 12 साल की इस कंपनी ने कभी भी बाहर से फंड नहीं लिया है। खुद की बदौलत कंपनी को शुरू किया था, जो आज 12 सालों में 3000 करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रही है। टाइगर एनालिटिक्स की जब शुरुआत हुई तो पहले साल का इस कंपनी का टर्नओवर 8 करोड़ हुआ था। शुरुआती सालों में कंपनी काफी स्लो ग्रो कर रही थी, लेकिन आज यह कंपनी 3000 करोड़ रुपए का टर्नओवर हर साल कर रही है। कुछ सालों में इसने 20 गुना से भी ज्यादा ग्रो किया है।

कंपनी में पूरा सहयोग करती है महेश की पत्नी पूजा यादुका

महेश कुमार की पत्नी पूजा यादुका कंपनी में पूरा सहयोग करती है। महेश बताते है की जब उन्होंने कंपनी शुरू करने की सोची तो पत्नी पूजा उस समय किसी और कंपनी में काम कर रहीं थी। पूजा भी IIT कानपुर से पढ़ी हुई है। पत्नी ने भरपूर सहयोग किया और कंपनी शुरू होने से लेकर अगले 2 वर्षों तो पूजा यादुका ने महेश का सहयोग किया। जब कंपनी ने रफ्तार पकड़ी तो पूजा ने नौकरी को छोड़ कर पूरा समय अपनी कंपनी टाइगर एनालिटिक्स को देने लगी और अभी कंपनी की हेड और ऑपरेशन है। महेश कुमार की पत्नी पूजा यादुका ने बातचीत में बताया की जब कंपनी छोटी होती है टीम नही होती है सबकुछ खुद से करना पड़ता है, चाहे वह कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो, कर्मचारी को ज्वाइन करना, सारे चीजों को सेटअप करना सब कुछ हमलोगाें ने साथ में मिलकर किया था। अब तो टीम बड़ी हो गई है सब डिपार्टमेंट के हेड है। अब हमलोगों के पास बड़ी टीम है। अब भी कभी कभी याद आता है की कंपनी शुरू करने के समय कितनी स्ट्रगल करना पड़ा था। वहीं महेश कुमार की पत्नी पूजा से बिहार तक ने जब सवाल किया की जब महेश कुमार ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ कर कंपनी शुरू की सोची तो उनका क्या रिएक्शन था। इस पर उन्होंने कहा की जब महेश से मैं मिली थी तभी से मुझे पता था की इनके दिमाग में कंपनी खोलने का आइडिया चल रहा है फिर भी जब इन्होंने मुझे बताया की ये प्रोफेसर की नौकरी छोड़ कर कंपनी शुरू करना चाहते है तो मैने कहा की एक बार फिर से सोच लीजिए की आपका यह फैसला सही है कि नही। लेकिन मुझे विश्वास था की महेश यह कर सकते है इस लिए मैंने उनका भरपूर सहयोग किया।

बिहार में काम के लिए पिता ने भी मना किया

जब महेश कुमार से पूछा कि एक समय था की आपके पिता पुरुषोत्तम यादुका ने आपको बिहार में कंपनी शुरू करने से रोका था तो महेश का जवाब कुछ इस तरह का था कि जब मैं बिहार में अपनी कंपनी शुरू करने का सोचा तो खुद मेरे पिता जो बिहार में ही रहते हैं उन्होंने मुझे मना कर दिया। उन्होंने कहा कि बिहार काम करने के लिए सेफ नहीं है। इसके बाद मैं और भी कई लोगों से सुना कि यहां पर कंपनी सेटअप करना सही डिसीजन नहीं होगा। क्योंकि आज से 20 साल पहले थे बिहार में लूट, रंगदारी जैसी घटनाएं आम थी लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है यह मुझे नही पता क्योंकि मेरे परिवार के साथ इस तरह की अभी तक कोई घटनाएं नही हुई है लेकिन मैंने मन बना लिया था कि मुझे बिहार में अपनी कंपनी का ऑफिस स्टार्ट करना है। इसके लिए मैंने बाकी और लोगों से बात करनी शुरू की। तो मुझे पता चला कि आईटी सेक्टर में ज्यादा प्रॉब्लम्स नहीं आएगी।

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