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साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए बिहार पुलिस अपने अफसरों को तैयार कर रही है। इंस्पेक्टर और दारोगा के बाद अब ट्रेनी डीएसपी को इसके अनुसंधान का गुर सिखाया जा रहा है। ईओयू द्वारा आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सोमवार को शुरू हो गया। पहली बार यह प्रशिक्षण ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। 

साक्ष्य जुटाने में बरतनी होती है सावधानी
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं होती। यह चौथी दुनिया है, जिसमें अपराधी अदृश्य होता है। अनुसंधान के दौरान कई बातों का ख्याल रखना जरूरी है। अपराधी तक पहुंचना और उसके खिलाफ साक्ष्य इक्ट्टा करना सबसे अहम कड़ी है। आम अपराध की तरह इसमें साक्ष्य संकलन नहीं कर सकते। इसमें काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। साइबर अपराध का दायरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा, लिहाजा इसमें शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी और उन्हें सजा दिलाकर ही घटनाओं को रोका जा सकता है।

प्रशिक्षण सत्र के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक सह एडीजी भृगु श्रीनिवासन शामिल हुए। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में एडीजी मुख्यालय जितेन्द्र कुमार, आईजी नैयर हसनैन खान और एडीजी ईओयू जेएस गंगवार मौजूद थे। एडीजी ईओयू ने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा साइबर अपराध की रोकथाम और अनुसंधान के लिए देशभर के पुलिस पदाधिकारी, लोक अभियोजक और न्यायिक पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने की योजना के तहत इसकी शुरुआत की गई है। मार्च 2020 तक बिहार में ऐसे 2286 पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया था। 

गृह मंत्रालय ने इसे वित्तीय वर्ष 2020-21 तक के लिए बढ़ा दिया है। कोरोना के संक्रमण के चलते पहली बार इसका आयोजन वेबिनार के माध्यम से ऑनलाइन किया जा रहा है। अतिथियों का स्वागत व मंच सांचालन ईओयू के डीआईजी प्राणतोष कुमार दास ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डीआईजी शिव कुमार झा ने दिया। 

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