नवगछिया नगर परिषद में उपसभापति रश्मिरथी देवी के नेतृत्व में 15 वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी सुमित्रानंदन को आवेदन देकर नगर परिषद क्षेत्र में होने वाले कार्य की निविदा को निरस्त करने की अपील की है. अपने आवेदन में पार्षदों ने कहा है कि 7 मार्च 2023 को नगर परिषद कार्यालय के सभी वार्डों में क्रियान्वयन कर 10 लाख रुपए अनुमोदित योजना का कार्य करने का निर्णय लिया गया था. इसके बावजूद लगभग 3 वार्डो में वार्ड संख्या दो , तीन एवं 22 में जो राशि दी गई है वह अन्य वार्डो से.
अधिक दिया गया है. जिसका विरोध वार्ड पार्षद कर रहे हैं निकाले गए निविदा से सभी वार्ड पार्षद ना खुश है, जिसके कारण गलत तरीके से राशि का बंदरबांट किए जाने का आरोप लगाते हुए निविदा को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही पार्षदों ने अपने आवेदन में कहा है कि अगर निविदा को रद्द नहीं किया जाता है तो सभी पार्षद इसका विरोध करेंगे. इसको लेकर भागलपुर जिला अधिकारी, एसडीओ और नगर विकास मंत्री को भी पत्र भेजा गया है.
जेई ने कहा साहब का आदेश है आवेदन ले वापस नहीं तो हस्ताक्षर करने वाले पार्षदों का काट दिया जाएगा योजना से नाम
आवेदन देने के बाद नगर परिषद कार्यालय के जेई ने उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि अजय कुमार प्रमोद सहित अन्य पार्षदों को फोन कर कहा कि कार्यपालक पदाधिकारी का आदेश है कि आवेदन को वापस कर ले नहीं तो आवेदन में जिन पार्षदों का हस्ताक्षर है उनका नाम योजना से भी काट दिया जाएगा और उन्हें एक रुपए का भी योजना नहीं मिलेगा. जिसके बाद नगर परिषद का माहौल बिगड़ता दिख रहा है पार्षदों ने कहा है कि इस तरह उनकी बातों को दबाने के लिए नगर परिषद में कार्यपालक दबाव बना रहा है, साथ ही अपने कर्मियों से फोन कर आवेदन वापस लेने की बात कह रहा है जो सरासर गलत है.
धमकी देने से आवाज उठाना नहीं करेंगे बंद होगा आंदोलन उप मुख्य पार्षद
उप मुख्य पार्षद रश्मिरथी देवी ने कहा कि नगर परिषद में मनमानी किया जा रहा है कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे हैं उन्होंने कहा कि नगर परिषद क्षेत्र में निकाले गए टेंडर जो कि गलत है इसका विरोध किया जा रहा है. उनके प्रतिनिधि अजय प्रमोद यादव ने कहा कि टेंडर को निरस्त करने के लिए वार्ड पार्षदों द्वारा हस्ताक्षर कर आवेदन कार्यपालक पदाधिकारी को दिया गया है आवेदन देने के बाद उनके कर्मियों द्वारा फोन कर धमकाया जा रहा है कि अगर आवेदन वापस नहीं लेंगे तो जो भी कार्य दिया गया है. वह भी वापस ले लिया जाएगा. इस तरीके से मनमानी सही नहीं है इसके लिए वरीय पदाधिकारियों और जरूरत पड़े तो आंदोलन का सहारा भी लेंगे.