0
(0)

प्रखंड के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मणिद्वीप दुर्गा मंदिर भ्रमरपुर उत्तर बिहार में जनजाग्रत है.मैया का दरबार.चार सौ साल पुराना मंन्दिर का इतिहास रहा है.भ्रमरपुर मंन्दिर शक्ति की देवी के रूप में जाने जाते हैं यहां के लोगों का मानना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना करते हैं उसकी मनोकामना पूरी होती है.दुर्गा पूजा के अलावा यहां पर सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है.संध्या आरती में यहां बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालू भाग लेते हैं.

यहां बंगला व तांत्रिक पद्धति से पूजा होती है कलश स्थापना के साथ ही प्रतिदिन बड़ी संख्या में पंडित यहां पाठ करते हैं.दुर्गा मंदिर की स्थापना भ्रतखंण्ड ड्योढी के राजा बाबू बैरम सिंह के द्वारा 1684 ई. में किया गया था. 1765 में बैरम सिंह के मित्र भ्रमरपर निवासी जागीरदार मनोरंजन झा ने काली मंदिर के पास से स्थान परावर्तन कर 14 नंबर सड़क किनारे स्थापात किया.1973 ई. में ग्रामीणों की सहयोग से भ्रमरपुरवासियों ने भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. वर्तमान में भी मंदिर का गुंबज निर्माण हो रहा है.

आज भी भ्रतखंण्ड ड्योढी के वंशज वीरबन्ना इस्टेट के परिजनों द्वारा अष्टमी की पहली बलि दी जाती है.मंदिर के अंदर गर्भगृह है जहां पर कलश स्थापना की जाती है.

यहां खगड़िया, मधेपुरा,बांका,भागलपुर,बेगूसराय, पूर्णिया,नवगछिया,पुर्णियां,सहरसा, मुंगेर सहित अन्य जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. दुर्गा मंदिर के पूजा में मुख्य अचार्य विकर्षक अभिमन्यु गोस्वामी होते हैं.मंन्दिर का मुख्य पुजारी छोटु गोस्वामी हैं.प्रतिमा का विसर्जन दुर्गा मंदिर परिसर में ही बने पोखर में किया जाता है.

ग्रामीण आकाशवाणी कलाकार सह भजन सम्राट डा.हिमांशू मोहन मिश्र उर्फ दिपक जा ने बताया कि इस वर्ष कोविड 19 को लेकर सोशल डिस्टैंस का पालन करते हुए सरकारी नियमानुसार कार्य किया जा रहा है.

Aapko Yah News Kaise Laga.

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Share: