कभी वामपंथियों का गढ रहे गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में अब वामपंथियों का जनाधार समाजवादी विचारधारा से जुडी पार्टियों में शिफ्ट होने के कारण यहाँ वामपंथियों का जनाधार सिमट गया है. कभी कांग्रेस हराओ तो कभी भाजपा हराओ मुहिम के कारण गठबंधन की राजनीति का खामियाजा वामपंथियों को गोपालपुर विधानसभा चुनाव में भुगतना पड रहा है. कभी गरीब -गुरुबों के संघर्ष के प्रतीक के रूप में गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में वामपंथी नेताओं की पहचान थी. परन्तु सुविधा की राजनीति के कारण वामपंथियों का किला ध्वस्त हो गया. आजादी के ततकाल बाद हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में 1957 ई में गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सैदपुर निवासी का मणिराम सिंह उर्फ गुरूजी को गोपालपुर के पहले विधायक निर्वाचित हुए. स्व मणिराम सिंह उर्फ गुरूजी 1967 व 1977 में भी विधायक बनने में सफल रहे. जबकि 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी की लहर थी. इसके बावजूद भाकपा उम्मीदवार ने गोपालपुर विधानसभा में लाल झंडा पहराया था. बाद में गठबंधन की राजनीति व जातिवाद के हावी होने के कारण वामपंथी कार्यकर्त्ता विभिन्न दलों से जुडते गये. परिणामस्वरूप वामपंथ की चमक यहाँ फीकी होते चली गई.