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पटना जिले में 2 हजार से अधिक लोग होम आइसोलेशन में हैं। ये ऐसे लोग हैं, जिनमें कोरोना बीमारी की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों ने उन्हें घर पर ही रहकर उपचार की सलाह दी है। ऐसे लोगों के लिए जिला प्रशासन ने उनके मोबाइल पर वीडियो कॉल के माध्यम से उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई है। मंगलवार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टर और मरीजों के बीच बातचीत का काम भी शुरू हो गया।

पटना शहरी क्षेत्र के 25 और ग्रामीण क्षेत्र के 23 ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना एंटीजन टेस्ट कराने आने वाले लोगों में जिनमें बीमारी की पुष्टि होती है, उनमें अधिकांश को होम आइसोलेशन में भेजा जा रहा है। ऐसे लोगों के मोबाइल पर प्रशासन की ओर से डॉक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कराई जा रही है। इसके लिए 3 केंद्र बनाए गए हैं, जहां से मरीजों का हालचाल लिया जा रहा है। पहला केंद्र जिला नियंत्रण कक्ष, दूसरा हिंदी भवन तथा तीसरा सिविल सर्जन कार्यालय है। प्रशासन की ओर से दो मोबाइल नंबरों से क्रमवार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कराई जा रही है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉक्टरों से मरीजों की बात कराई जा रही है। डॉक्टरों द्वारा मरीजों से चार प्रकार के सवाल किए जा रहे हैं, जिनमें बुखार, खांसी, सर्दी आदि होने तथा संक्रमण के बाद की स्थिति क्या है, इसकी जानकारी ली जा रही है। जो दवा खाने की सलाह दी गई थी उसका नियमित सेवन कर रहे हैं कि नहीं तथा बचाव के लिए जो उपाय बताए गए हैं उसका अनुपालन हो रहा है कि नहीं इन सभी बिंदुओं पर डॉक्टर और मरीज के बीच वार्तालाप कराई जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिन मरीजों की हालत होम आइसोलेशन में अच्छी नहीं दिख रही है उसे आइसोलेशन सेंटर या हॉस्पिटल में भर्ती करने की सलाह डॉक्टर दे रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टर की सलाह के बाद जिन मरीजों को दवा लिखी जा रही है, उस दवा को मरीज के पते पर कुरियर या डाक से भेजने का काम शुरू कर दिया गया है।

प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड उपलब्ध कराएंगे अधिकारी
पटना शहर की 111 निजी अस्पतालों में कोविड-19 से पीड़ित मरीजों के उपचार की व्यवस्था कर दी गई है। इन अस्पतालों में वर्तमान समय में लगभग 200 मरीज उपचार करा रहे हैं। मंगलवार को डीएम कुमार रवि की ओर से प्राइवेट हॉस्पिटल कोषांग का गठन किया गया। इसके प्रभारी सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार को बनाया गया है, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में कितने बेड उपलब्ध हैं तथा नए अस्पताल कितने पंजीकृत किए जाने हैं इसके लिए उप समाहर्ता श्रेया कश्यप को जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए भी एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है जो हिंदी भवन में काम कर रहा है।

डॉक्टर और मरीजों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर इसीलिए बातचीत कराई जा रही है ताकि डॉक्टर उनकी स्थिति देखकर के समझ सके। इससे मरीजों को संतुष्टि भी हो रही है तथा उनकी वस्तु स्थिति की जानकारी भी मिल रही है। यह एक कारगर कदम है।

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