भागलपुर।सूबे के मुखिया नितीश कुमार एक तरफ जहाँ बिहार के शिक्षा से समझौता नहीं करने का दावा करते दिखती है वह कहती है कि हम क्वालिटी की शिक्षा में कोई कंपरमाइज नहीं करना चाहते वहीं दूसरी तरफ शिक्षक तो दूर कई विद्यालय में बच्चे क्लास लेते देखे गए हैं उसका कारण है स्कूलों के शिक्षक गांव में घूम घूम कर जातिगत गणना कर रहे हैं ,एक तरफ जहां शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सरकार बीपीएससी से परीक्षा लेकर उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने और शिक्षा मे सुधार लाने की कवायद में जुटी है वहीं दूसरी ओर शिक्षकों से जातिगत गणना कराने को लेकर भी आदेश जारी कर दिए गए हैं ।यह मामला पूरे सूबे में राजनीतिक रंग पकड़ने लगा है।
इसी बाबत कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सह भागलपुर विधायक अजीत शर्मा ने अपने ही सरकार पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा कि शिक्षकों से जातिगत गणना नहीं करानी चाहिए, सरकार को चाहिए कि जितने भी युवा बेरोजगार हैं उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रखकर यह काम करा लें, इस बात से साफ तौर पर यह देखा जा रहा है कि भागलपुर विधायक अजीत शर्मा ने अपने ही सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर दिए है।
जब विधायक अजीत शर्मा को लगा कि यह बयान मैंने अपने ही सरकार के विरुद्ध दे दिया तो उन्होंने अपने ही बातों का खंडन करते हुए महागठबंधन की सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुणगान के पुल बांधने शुरू कर दिये, उन्होंने कहा कि मेरे कहने का मतलब था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इंजीनियर हैं और शिक्षा को लेकर काफी सजग हैं।आज बच्चियां बेटियां अगर आगे बढ़ रही हैं तो यह देन सिर्फ अपने मुख्यमंत्री का है, पहले 5 साल में ग्रेजुएशन की डिग्री मिलती थी अब 3 साल में मिलने लगा है,
शिक्षा में बहुत सुधार हुआ है ,उन्होंने अपने बातों का खंडन करते हुए कहा कि मैंने ये कहा था कि जातीगत गणना में जो शिक्षकों को लगाया गया है इससे शिक्षा का नुकसान होगा। हम चाहते हैं जो बेरोजगार लोग हैं उनको भी शिक्षकों के साथ मे जोड़ा जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से जातिगत गणना कराने का निर्णय लिया है वह ठीक है लेकिन बेरोजगार युवा को भी इसमे सम्मिलित किया जाए, मेरा कहना है बेरोजगारों को जोड़ा जाए ताकि उन्हें आर्थिक मदद मिले। मैं चाहूंगा बेरोजगार युवाओं के साथ मिलकर शिक्षक जातीगत गणना जल्द से जल्द पूरा कर दें।