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25को एसडीएम ने बुलाई बैठक,स्थानीय लोगों में खुशी

कहलगांव (भागलपुर) ।

कहलगांव प्रखंड के अंतीचक पंचायत अंतर्गत विक्रमशिला विश्वविद्यालय के समीप आगामी दिसंबर माह में दो दिवसीय विक्रमशिला महोत्सव की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। इस घोषणा के बात खासकर जिले भर के लोक कलाकार सहित अन्य विधाओं से जुड़े कलाकारों में हर्ष है. फिलहाल, प्रशासनिक तैयारी प्रारंभ कर दिया गया है। मालूम हो कि इस दो दिवसीय महोत्सव के कारण धरोहर की मायूसी में भी रौनक देखने को मिलती है। आस – पास के ग्रामीण सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित भव्य मेले का जी भर लुत्फ उठाते हैं। बताते चलें कि वर्ष 2024 के फरवरी- मार्च में होने वाले विक्रमशिला महोत्सव को गत लोक-सभा चुनाव के कारण स्थगित कर दिया गया था। इस सूचना के काफी काफी नाराजगी देखी गई थी। 23 में हुए महोत्सव तीन वर्ष बाद हुई थी। उक्त समय क्षेत्र में काफी उत्साह था। मालूम हो कि करोना काल में तीन वर्ष तक इस भव्य आयोजन की झलक से मरहूम रहे थे स्थानीय सहित जिले भर के लोग. वहीं स्थानीय लोगों सहित विक्रमशिला विश्वविद्यालय से जुड़े संस्था के सदस्यों को मायूसी हाथ लगी थी। मालूम हो कि 2023 में हुए महोत्सव में जिला बनाम अनुमंडल के बीच जमकर रस्साकसी कार्यक्रम के दौरान देखी गई थी। इतना ही नहीं दो अधिकारी के बीच मंच के नजदीक ही वाक युद्ध शुरू हो गया था। दोनों ओर से हवा में बाजू फैलाए गए थे। देख लेने की भी बात कही गई थी।जो विवाद आगे चलकर ट्रांसफर, सस्पेंड पश्चात अदालत तक जा पहुंचा था. इन पुरानी यादों की चर्चा आज भी होती है। कहलगांव अनुमंडल पदाधिकारी अशोक मंडल ने महोत्सव को लेकर बीते गुरुवार को ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व विक्रमशिला से जुड़े विभिन्न संगठनों व बुद्धिजीवियों को चिट्ठी जारी करते हुए 25 नवंबर दिन सोमवार को प्रखंड के टाईसेन भवन में बैठक आयोजित किया है। बैठक में इन बिन्दुओं पर हो सकती है । बताया गया कि बात महोत्सव की तिथी निर्धारित करने और इसे सफल बनाने को लेकर हो सकती है।

कार्यक्रम को लेकर प्रचार - प्रसार, होर्डिंग, बैनर, बैरिकेडिंग, सुरक्षा, आवासन सहित अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा किए जाने की बात सामने आ रही है. वैसे बताया यह भी जा रहा है कि पूर्व की तरह मौजूदा महोत्सव की कमांडिंग जिला मुख्यालय से ही होगी. स्थानीय लोगों से मिल बैठकर गुफ्तगू महज चर्चा में शुमार साबित होगा. स्थानीय कलाकारों के चयन को लेकर मुख्यालय की दखलंदाजी पूर्व की तरह रहेगी। बहरहाल, महोत्सव की सूचना से कहलगांव सहीत आसपास के लोगो में खुशी की लहर देखी जा रही है। खासकर, स्थानीय नन्हें कलाकारों की बांछे खिल गई है। इन स्थानीय नन्हें कलाकारों को महोत्सव के प्रथम दिन मंच पर थिरकने व अपने जौहर दिखाने का मौका जी भर मिलता है।

बॉक्स खबर

विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण हेतु बिहार सरकार द्वारा लगभग 88 करोड़ रुपए को स्वीकृत किए जाने के बाद से ही इस मूर्छित ऐतिहासिक धरोहर की अब चर्चा सर्वत्र हो रही है. इससे विक्रमशिला महाविहार के भग्नावशेष के समीप चिरप्रतीक्षित विक्रमशिला केन्द्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण का सपना साकार होने को आतुर है. इस कवायद को लेकर प्रशासनिक अधिकारी लगातार धरोहर स्थल का दौरा कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों के साथ बैठकें लगातार जारी है.
मालूम हो कि मोदी सरकार के पार्ट वन के दूसरे साल 2015 में भी इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए 500 करोड़ रूपया स्वीकृत किया गया था जिससे 500 एकड़ भूमि पर विक्रमशिला केंद्रीय
विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाना था. राज्य सरकार से जमीन उपलब्ध कराने को भी कहा गया. बहुत दिनों तक राज्य सरकार द्वारा मामला अटकाये रखने के बाद 500 एकड़ के बदले महज 200 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने को राजी हुए. इसके बाद मलकपुर मौजा, अंतीचक मौजा, परशुरामचक मौजा की जमीन को देखा गया और जिलाधिकारी के माध्यम से इन जमीनों का प्रस्ताव भेजा गया.

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