


नवगछिया में रामचरित मानस के स्वर्ण जयन्ती समारोह में स्वामी विनोदानंद सरस्वती ने दिया संदेश
नवगछिया, घाट ठाकुरवाड़ी: रामचरित मानस के 50वीं स्वर्ण जयन्ती समारोह के अवसर पर आयोजित राम कथा के दूसरे दिन कथावाचक स्वामी विनोदानंद सरस्वती ने उपस्थित श्रोताओं को जीवन के महत्वपूर्ण संदेश दिए। उन्होंने कहा कि “पुत्र के चक्कर में कभी भी भाई की संपत्ति नहीं हड़पनी चाहिए। विपत्ति के समय पुत्र काम आए या नहीं, लेकिन भाई जरूर काम आता है।”

स्वामी जी ने आगे कहा कि “जिस धरा पर बहुत बड़े यज्ञ होते हैं, वह धरा प्रयागराज कहलाती है। प्रयागराज सभी तीर्थों का राजा है। यदि जीवन में श्रद्धा और विश्वास नहीं हैं, तो कुछ भी संभव नहीं। हमें हमेशा श्रद्धा और विश्वास बनाए रखना चाहिए। दुनिया में जितने भी लोग हैं, वे सब पापी हैं। हम अपने पापों को धोने के लिए प्रयागराज जाते हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “जो लोग मां गंगा की गोद में जाते हैं, मां गंगा उनके सारे पापों को धोकर उन्हें भवसागर से पार कर देती हैं।”
स्वामी जी ने भजनों के माध्यम से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर किया। “पायोजी मैंने राम रतन धन पायो”, “भटकते फिरेंगे हम तो होके बावरे तेरे बिन जाऊं कहां ओ सांवरे तू है हमारा मोहन, हम भी हैं तुम्हारे तेरा ही सहारा” जैसे भजनों से उन्होंने वातावरण को भक्ति रस में रंग दिया।

समारोह के अध्यक्ष दिनेश सर्राफ ने बताया कि यह नौ दिवसीय राम कथा 7 अप्रैल तक चलेगी। इस आयोजन में पं. चंदन झा के आचार्यत्व में 21 विद्वानों के द्वारा नवाह पारायण संगीतमय रूप से प्रातः 8:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक किया जा रहा है।
इस आयोजन को सफल बनाने में सचिव शिव जायसवाल, अध्यक्ष दिनेश सर्राफ, उपाध्यक्ष बनवारी पंसारी, कोषाध्यक्ष सरवन केडिया, मीडिया प्रभारी अशोक केडिया, किशन यादुका, संतोष यादुका, संतोष भगत, अनिल चिरानिया, अनिल भगत, विनीत खेमका, कैलाश अग्रवाल, विशाल चिरानिया, जुगनु भगत, दयाराम चौधरी, किशन चिरानिया, शंकर चिरानिया सहित कई अन्य लोग जुटे हुए हैं।
