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निभाष मोदी, भागलपुर।

भागलपुर,विश्व कछुआ दिवस प्रत्येक 23 मई को मनाया जाता है, बताते चलें दुनिया भर में कछुआ और उनके लुप्त हो रहे आवासों की रक्षा के लिए लोगों को जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इसे 2000 ईस्वी से अमेरिकी तोड़तोइज रेस्क्यू द्वारा मनाना शुरू किया गया है, जो 1990 में कछुए की सभी प्रजातियों की सुरक्षा के लिए स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन है।

बिहार सरकार द्वारा संचालित पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भागलपुर के निदेशक चिंतापल्ली ने कहा भागलपुर में हमारे विभाग द्वारा 1200 कछुए को रेस्क्यू किया गया और उसके उपचार के उपरांत विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन सेंचुरी में छोड़ दिया गया। अभी 10 कछुए का उपचार चल रहा है , ठीक होने के उपरांत इसे भी नदी तालाब में छोड़ दिया जाएगा ।उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दुनिया का एकमात्र सेंचुरी है जो 65 किलोमीटर लंबा है और 4 से 5 किलोमीटर चौड़ा है ,इसमें कछुए की 6 प्रजातियां पाई जाती हैं,

विश्व कछुआ दिवस पर उन्होंने यह भी बताया कि कछुआ एक विज्ञानिक अनुमान के अनुसार पूरे 20 करोड़ सालों से पृथ्वी पर है कछुआ के दांत नहीं होते। भोजन को चावने के लिए प्लेट जैसा हड्डी होता है ।कछुआ की 318 से ज्यादा प्रजातियां धरती पर रहती है ।ज्यादातर प्रजातियां जल में रहती, हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए ।अगर घायल अवस्था में हो तो वन विभाग को सूचना दें साथ ही साथ कोई तस्कर इसकी तस्करी करे तो इसकी सूचना वन विभाग को जल्द से जल्द दें जिससे कछुए की प्रजातियों को बचाया जा सके।

Aapko Yah News Kaise Laga.

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