भागलपुर के एक दिनी स्वच्छता अभियान का घटिया सच हुआ तस्वीरों में कैद
भागलपुर में महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर के एक दिन पहले कई संस्थाओं व विभागों ने स्वच्छता अभियान चलाया लेकिन इसका सच जानकर आप हैरान हो जाएंगे यह जो तस्वीर दिखाई जा रही है इस तस्वीरों में साफ तौर पर भागलपुर नगर निगम की सच्चाई आपके सामने दिखेगी जिस गंगा नदी को आप स्वच्छ व पवित्र मन रहे हैं उस गंगा नदी की हकीकत देख कर आप हैरान हो जाएंगे. …..
एक दिनी स्वच्छता अभियान का घाटियां सच
भागलपुर में एक दिन पहले स्वच्छता अभियान के तहत रेलवे अधिकारी, कांग्रेस कार्यकर्ता, बीजेपी कार्यकर्ता ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। लेकिन कूड़े को गंगा नदी के किनारे नगर निगम वालों ने फेंक दिया। अब सवाल है कि गंगा नदी है या शहर का डस्टबिन है ? मानो भागलपुर नगर निगम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का ठेंगा दिखाने में उस्ताद है। स्वच्छता अभियान में शामिल नेता फ़ोटो और वीडियो अपलोड कर अपनी शान समझते हैं, लेकिन राम और रहीम की गंगा मैली होने के साथ विषाणु वाला डस्टबिन बनता जा रहा है।
एक दिनी स्वच्छता अभियान ही क्यों?
स्वच्छता की बात तो गांधी जी ने भी किया था। प्रधानमंत्री मोदी जी भी उनका अनुसरण कर और करा रहे हैं। लेकिन एक दिनी क्यों? सड़क पर पीएम साहब के आह्वान पर सर्वदलीय नेताओं ने झाड़ू लगाया। लेकिन वह कचरा गया कहाँ? भागलपुर में बहती गंगा नदी आज की तारीख में भी डस्टबिन बना हुआ है। साक्ष्य मौजूद है। एनजीटी के गाइड लाइन का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन होता दिख रहा है। कूड़े का गिराब गंगा नदी के किनारे हो रहा है। मौजूदा समय डेंगू के चपेट में है। बिहार की हज़ारों आबादी अभी डेंगू बुखार और वायरल डिजीज से ग्रसित है। तब जब कोरोना हुआ था उस समय सरकार ने वैक्सीन का ईजाद कर करोड़ों आबादी की जान बचाई थी। उस पर वैक्सीन वार जैसी फिल्में भी बनी। लेकिन कूड़े को गंगा किनारे डंप कर जो विषाणु पनपने का हालात पैदा कर रहे हैं, उसमें नगर निगम, राजनीतिक दलों के लोग और मीडिया भी जिम्मेदार हैं। नेता झाड़ू लगाते हैं। मीडिया उनकी तस्वीर और वीडियो बनाकर एकदिनी ख़बर चलाते हैं। बाँकी दिन जो भीषण बीमारी के कीटाणु आवोहवा में फैलती है, वह जानलेवा हो रहा है।